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उन्होंने बिना सड़कों पर उतरे सेना को बता दिया कि उसकी तानाशाही नहीं चलने वाली.
सैन्य शासन के खिलाफ म्यांमार (Myanmar) के लोगों ने विरोध का अनोखा तरीका निकाला. शुक्रवार को लोगों ने खुद को घरों में कैद कर लिया और सेना (Army) को स्पष्ट संदेश दिया कि उसकी तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित इस विरोध को 'साइलेंट स्ट्राइक' नाम दिया गया था. इस प्रदर्शन में समूचा देश एक साथ नजर आया. सुबह 10 बजे से शाम के चार बजे तक लोग घरों में ही रहे. दुकानें बंद रहीं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा.
इस घटना के विरोध में हुआ Protest
आवाम का यह प्रदर्शन मंगलवार को देश के सागाइंग क्षेत्र में सैनिकों (Myanmar Army) द्वारा की गई कथित हिंसक कार्रवाई के विरोध में था, जिसमें 11 नागरिकों की मौत हो गई थी. ग्रामीणों को इन नागरिकों के जले हुए शव मिले थे. इस घटना से जुड़े कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. वहीं, सेना ने सफाई देते हुए कहा है कि उसने नागरिकों की हत्या नहीं की है. सेना ने इस घटना को फर्जी करार दिया और कहा कि इंटरनेट मीडिया पर दिखाई जाने वाली जानकारियां झूठी और सेना को बदनाम करने की साजिश है.
इस बात को लेकर नाराज थे सैनिक
म्यांमार की तानाशाह सेना पर अपने ही देश के नागरिकों के नरसंहार का आरोप लग रहा है. इस क्रम में सैनिकों ने अपने काफिले पर हुए हमले के प्रतिशोध में देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में सगाइंग क्षेत्र के डोने ताव गांव में छापेमारी की. कुछ ग्रामीणों को पकड़ कर सेना ने उनके हाथ-पांव बांध दिए और उन्हें जिंदा जला दिया. इस बर्बरता की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि ग्रामीणों की हत्या कर उन्हें आग के हवाले करने के तुरंत बाद ही उन तस्वीरों को लिया गया था.
मरने वालों में कुछ नाबालिग भी
हालांकि, अभी तक इन तस्वीरों और वीडियो की कोई पुष्टि नहीं हुई है. मंगलवार को हमले के बाद सोशल मीडिया पर आए वीडियो में 11 ग्रामीणों के जले हुए शव दिख रहे हैं. माना जा रहा है कि इनमें कुछ किशोर भी थे. इसी घटना के विरोध में शुक्रवार को म्यांमार के लोगों ने अनूठा विरोध किया. उन्होंने बिना सड़कों पर उतरे सेना को बता दिया कि उसकी तानाशाही नहीं चलने वाली.
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