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म्यांमार में सेना की ओर से किए गए तख्तापलट के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है।
म्यांमार में सेना की ओर से किए गए तख्तापलट के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है। समाचार एजेंसी आइएएनएस ने सिन्हुआ के हवाले से बताया है कि सेना ने पूर्व स्टेट काउंसर आंग सान सूकी की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (National League for Democracy, NLD) के वयोवृद्ध नेता यू विन हितीन (U Win Htein) को भी गिरफ्तार कर लिया है। वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक शुक्रवार को भी शहरों में लोगों का प्रदर्शन जारी रहा।
ट्विटर पर शिफ्ट हुए लोग
सेना ने विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए फेसबुक पर रोक लगा दी थी। हालांकि समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक हजारों लोगों ने इसकी काट के तौर पर खुद को ट्विटर पर शिफ्ट कर लिया है। सनद रहे कि म्यांमार में फेसबुक काफी लोकप्रिय है। अपदस्थ आंग सान सूकी की सरकार इसी प्लेटफॉर्मों के जरिए योजनाओं का एलान करती थी। इंटरनेट यूजर्स के मुताबिक बुधवार रात से ही फेसबुक के इस्तेमाल में दिक्कत पेश आने लगी थी।
सूकी के सहयोगी गिरफ्तार
सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 80 वर्षीय यू विन हितीन (U Win Htein) सूकी के बेहद करीबी नेता हैं। उन्हें बीती रात को नेपीता के एक थाने ले जाया गया। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के पूर्व राष्ट्रपति यू विन मिंत और सूकी को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के उल्लंघन में 15 फरवरी तक रिमांड पर रखा गया है। सेना ने मिंत और सूकी को सोमवार को तख्तापलट का एलान से पहले ही हिरासत में ले लिया था।
बाइडन ने सेना को दी हिदायत
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि म्यांमार में सेना ने जो सत्ता हासिल की है वह उसे छोड़ दे। सेना ने जिन वकीलों, कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है वह उन्हें भी छोड़ दे। बाइडन ने दो-टूक कहा है कि हम लोकतंत्र की बहाली, कानून का शासन कायम करने के लिए साझेदारों के साथ मिलकर काम करेंगे। फिलहाल सूकी को कहां रखा गया है इस बारे में कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है।
आम चुनावों के बाद से जारी था गतिरोध
सेना ने म्यांमार में एक साल के लिए इमरजेंसी लगा दी है और सत्ता पर सैन्य कमांडरों का कब्जा हो गया है। म्यांमार में नवंबर 2020 में हुए आम चुनावों के बाद से ही सेना और सरकार के बीच तनाव चल रहा था। संयुक्त राष्ट्र ने पहले ही तख्तापलट की आशंका जताई थी। सेना का कहना है कि आम चुनाव में धांधली हुई थी। गौर करने वाली बात है कि इस चुनाव में सूकी की पार्टी को संसद में 83 फीसद सीटों पर जीत मिली थी।
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