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जो अभी कोरोना महामारी के कारण हुए नुकसानों से अभी ठीक से उबरे भी नहीं हैं।
इंडोनेशिया (Indonesia) में ईंधन की बढ़ती कीमतों (Fuel price hike) को लेकर सोमवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। मालूम हो कि यहां सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी में कमी लाए जाने की वजह से बीते शनिवार को ईंधन की कीमतों में 30 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि राजनीतिक रूप से संवदेनशील मुद्दे ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन को न्यौता दिया है।
शनिवार को देश के राष्ट्रपति Joko Widodo ने जैसे ही ईंधन की कीमतों में 30 फीसदी बढ़ोत्तरी का ऐलान किया, वैसे ही देखते ही देखते ट्रेड यूनियनों के सदस्यों, किसानों, मछुआरों, शिक्षकों और अन्य कामगारों ने जकार्ता में संसद भवन के सामने और अन्य प्रादेशिक सरकारी परिसरों के सामने भीड़ जुटानी शुरू कर दी और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति ने बताया था कि देश की ऊर्जा सब्सिडी इस वर्ष करीब तिगुनी होकर 34 अरब डॉलर हो गई है जिसके चलते तेल और गैस की वैश्विक कीमतें बढ़ी हैं।
सोमवार को हुई प्रदर्शन के दौरान इंडोनेशियाई ट्रेड यूनियनों के परिसंघ (president of the Confederation of Indonesian Trade Unions) के अध्यक्ष इकबाल ने कहा कि रैली में अगले साल न्यूनतम वेतन में वृद्धि की मांग की गई है।
उन्होंने कहा कि यहां जकार्ता के साथ-साथ अन्य 25 प्रांतों में हो रहे विरोध प्रदर्शन महज शुरुआत भर है। यह दिसंबर तक जारी रहेगा। इस दौरान कामगारों ने यह भी कहा कि जब तक उनकी मांगें सुन नहीं ली जाती तब तक वे देशव्यापी हड़ताल जारी रखेंगे।
इंडोनेशिया में ईंधन की कीमतों में वृद्धि पिछले आठ सालों में पहली बार है। इस दौरान गैसोलीन (Gasoline ) की कीमत लगभग 51 सेंट से 67 सेंट प्रति लीटर और डीजल (Diesel) ईंधन की कीमत 35 सेंट से बढ़ाकर 46 सेंट कर दी गई।
इंडोनेशिया में दक्षिण सुलावेसी प्रांत की राजधानी मकास्सर (Makassar) में दर्जनों विद्यार्थियों ने भी सोमवार और मंगलवार की रैली में भाग लिया। उन्होंने कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव सबसे अधिक समाज के कमजोर वर्गों पर पड़ेगा, जो अभी कोरोना महामारी के कारण हुए नुकसानों से अभी ठीक से उबरे भी नहीं हैं।
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