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पाकिस्तान के लोगों ने सोशल मीडिया पर 'मलाला युसुफजई' को स्कूली किताबों से हटाने का की मांग
Malala in Pakistan School Books: पाकिस्तान के लोगों ने सोशल मीडिया पर मांग की है कि मलाला युसुफजई के बारे में किताबों में ना पढ़ाया जाए. यहां के पंजाब प्रांत में स्कूल की एक किताब में 'पाकिस्तान के महत्वपूर्ण लोग' वाले अध्याय में मलाला (Malala Yousafzai) का नाम भी शामिल है. जिसपर लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है. एक सोशल मीडिया यूजर ने किताब की तस्वीर शेयर की है, जिसमें मलाला की तस्वीर के साथ अलामा इकबाल, चौधरी रहमत अली, लियाकत अली खान, मोहम्मद अली जिन्नाह, बेगम राणा लियाकत अली और अब्दुल सित्तर ईदी की तस्वीर हैं.
लोगों ने प्रांतीय सरकार से मांग की है कि किताब में से मलाला की तस्वीर हटाई जाए. एक अन्य यूजर ने लोगों से अपील की है कि उसे किताब के प्रकाशित होने की तारीख बताई जाए (Malala Yousafzai in School Books). जबकि कुछ अन्य लोगों का ऐसा मानना है कि ये तस्वीर शायद फेक है. मामले में प्रांतीय सरकार ने अभी तक कुछ भी नहीं कहा है. ठीक इसी तरह का मामला इससे पहले सिंध प्रांत में भी देखने को मिला था.
मलाला रखा गया स्कूल का नाम
सरकार ने एक सरकारी स्कूल का नाम बदलकर कराची में मलाला यूसुफजई करने का फैसला किया था. इसका भी लोगों ने विरोध किया. यहां सेठ कूवरजी खिमजी लोहाना गुजराती स्कूल का नाम बदलकर मलाला युसुफजई सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल रखा गया (Malala in Pakistan School Books). जो कराची के मिशन रोड पर स्थित है. लोगों ने इसपर आपत्ति जताते हुए स्कूल की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की और कहा कि मलाला का नाम हटाया जाए और शहर के इतिहास को बर्बाद ना किया जाए.
शिक्षा मंत्री से किया अनुरोध
मानवाधिकार कार्यकर्ता कपिल देव ने एक ट्वीट के जवाब में कहा, 'हम सिंध सरकार के शिक्षा मंत्री सईद घानी से अनुरोध करते हैं कि वह अपने फैसले की दोबारा समीक्षा करें.' उन्होंने कहा कि मलाला युसुफजई के नाम से एक अन्य स्कूल का निर्माण किया जा सकता है. एक अन्य यूजर ने कहा कि इतिहास में सेठ कूवरजी खिमजी लोहाना का नाम है, जिसे बचाए रखने की जरूरत है. उनके नाम से कराची को बनाने में गुजराती सिंधी समुदाय (Gujarati Sindhi Community) के योगदान के बारे में पता चलता है.
Rani Sahu
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