अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक व कोरोना महामारी विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फॉसी ने कहा है कि भारत में मिला डेल्टा वायरस अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा। उच्च संक्रामक स्ट्रेन डेल्टा वैरियंट का जिक्र करते हुए फॉसी ने कहा कि ये मूल कोविड-19 वायरस के मुकाबले अधिक आसानी के फैल सकता है।
उन्होंने कहा कि ये वैरियंट वैश्विक रूप से इस बीमारी का बेहद प्रभावी वर्जन है। ये प्रकार बेहद तेजी व आसानी से लोगों को संक्रमित कर सकता है।
बता दें कि डेल्टा वायरस भारत में अप्रैल व मई के दौरान मिला था और इससे हजारों लोगों की जान गई थी। इसकी वजह से ही भारत में कोरोना की दूसरी लहर आई थी जिसमें हजारों लोग मारे गए। इसके चलते अस्पतालों में बेड की कमी हो गई, श्मशान घाटों में जगह कम पड़ गई और स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई।
बता दे कि अमेरिका व ब्रिटेन में जहां अल्फा स्ट्रेन ने कहर ढाया था वहीं भारत में डेल्टा ने। उधर दक्षिण अफ्रीका में बीटा ने तो ब्राजील में गामा स्ट्रेन ने। इन सभी के बीच डेल्टा स्ट्रेन सबसे ज्यादा संक्रामक पाया गया है। इसलिए इससे खतरा अब भी बना हुआ है। इसका नया वैरिएंट डेल्टा प्लस भी आ चुका है।
विश्व में अभी जो सबसे ज्यादा सक्रिय कोरोना वायरस के स्ट्रेन हैं, उनमें डेल्टा वैरिएंट (बी.1.617.2) भीषण संक्रामक है। यह सबसे पहले भारत में सामने आया था। डब्ल्यूएचओ ने भी इन चार स्ट्रेनों में से डेल्टा को लेकर ज्यादा चिंता जताई थी। इसने दूसरी लहर में भारत में कहर ढाया था। अब इससे ब्रिटेन व अमेरिका में डर पैदा हो रहा है। यह पूर्व में अमेरिका में फैले अल्फा स्ट्रेन के मुकाबले 60% ज्यादा संक्रामक है।
डेल्टा क्यों है खतरनाक स्ट्रेन
चीन के चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार डेल्टा पीड़ितों की हालत तेजी से बिगड़ती है। इससे संक्रमित पस्त हो जाते हैं और उनमें सुधार बहुत धीमा होता है। इसी दौरान उनकी हालत बिगड़ने पर उनके साथ अनहोनी हो जाती है।
डॉ. फॉसी के अनुसार अमेरिका में इस समय कुल मामलों में डेल्टा स्ट्रेन से छह फीसदी लोग संक्रमित हैं। मिनेसोटा यूनिवर्सिटी में संक्रामक बीमारी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ. माइकेल ओस्टरहोल्म के अनुसार यह ज्यादा संक्रामक होने से अल्फा स्ट्रेन को पीछे छोड़ देगा।