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सामान्य तौर पर ऐसा लगता है कि मरने की प्रक्रिया के दौरान लोगों का दर्द कम हो जाता है लेकिन इसके पीछे की वजह साफ नहीं है.
अगर इस दुनिया में किसी ने जन्म लिया है तो उसकी मौत निश्चित है जिसे कोई भी टाल नहीं सकता. लेकिन क्या मौत से पहले किसी को इसका अहसास हो पाता है. आखिर मौत आने पर इंसान को क्या संकेत देती है? इन सभी सवालों के जवाब अक्सर हम सभी के दिमाग को परेशान कर सकते हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने इस बारे में कुछ रिसर्च की है जिसके नतीजों से पता चलता है कि मौत आने से पहले कुछ इशारे जरूर करती है. आकस्मिक मौत के मामलों में यह आभास भले ही न हो लेकिन आमतौर पर दो हफ्ते पहले ही मौत की तैयारी शुरू हो जाती है.
'द मिरर' की एक रिपोर्ट के मुताबिक पैलिएटिव केयर डॉक्टर्स सैकड़ों लोगों को अपने सामने मरते देखते हैं. उनमें से ही एक डॉक्टर ने यह खुलासा किया है कि मौत से पहले किसी इंसान को कैसा अहसास होता है. जब किसी शख्स की मौत आती है तो उसका शरीर कैसे रिएक्ट करता है और उसके दिमाग में क्या चल रहा होता है. एक्सपर्ट इस प्रोसेस के बारे में सीमित जानकारी रखते हैं लेकिन सच यह है कि मौत पहले से मरने वाले शख्स का इंतजार कर रही होती है.
आकस्मिक मौत के मामले में पहले से कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन मरीजों के मामले में इस बारे में स्टडी जरूर की गई है. डॉक्टरों ने मौत से पहले मरीजों के साथ अपने अनुभवों के आधार पर यह पता लगाने की कोशिश की है कि आखिर इंसान मरने से पहले क्या-क्या अनुभव करता है. डॉक्टरों का मानना है कि दिल धड़कना बंद करने से करीब दो हफ्ते पहले ही मौत की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और फिर वो दिन आता है जब इंसान दुनिया को अलविदा कह देता है.
लिवरपूल यूनिवर्सिटी में रिसर्चर सीमस कोयल ने एक आर्टिकल में डेथ प्रोसेस के बारे में बात की है. इसमें वह बताते हैं कि मरने की प्रक्रिया मौत होने से दो सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती है, उस वक्त लोगों की सेहत बिगड़ने लगती है. साथ ही आम तौर पर चलने और सोने में भी मुश्किलें आने लगती हैं. नींद आने पर अक्सर वह चौंक कर जाग जाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि जीवन के अंतिम दिनों में गोलियां निगलने या फिर भोजन या फिर कुछ भी पीना तक मुश्किल होने लगता है.
सीमस ने कहा कि यह वह समय होता है जब किसी के जाने की तैयारी हो रही होती है. हम आमतौर पर सोचते हैं कि इसका मतलब है कि उनके पास जीने के लिए अब सिर्फ दो से तीन दिन बचे हैं. हालांकि, एक दिन के भीतर कई लोग इस पूरे प्रोसेस से गुजर सकते हैं. कुछ लोग वास्तव में मरने से पहले लगभग एक सप्ताह तक मौत के मुहाने पर खड़े दिखाई देते हैं, यह आमतौर पर परिवारों के लिए बेहद दुखदायी होता है. मौत से पहले अलग-अलग लोगों के साथ तहर-तरह की चीजें चल रही होती हैं और ऐसे में उनकी सटीक भविष्यवाणी कर पाना बहुत मुश्किल होता है.
मौत के वक्त बॉडी में सटीक तौर पर क्या होता है यह काफी हद तक अनसुलझा सवाल है, लेकिन कुछ स्टडी का अनुमान है कि मरने से पहले दिमाग से केमिकल निकलना शुरू हो जाते हैं. इनमें एंडोर्फिन शामिल है, जो किसी व्यक्ति में उत्साह की भावनाओं को बढ़ा सकते हैं. सीमस ने कहा कि मौत के वास्तविक पल को समझना मुश्किल है. लेकिन स्टडी से पता चलता है कि जैसे-जैसे लोग मौत के करीब आते हैं, शरीर का तनाव बॉडी के भीतर केमिकल रिएक्शन को बढ़ा देता है. उन्होंने कहा कि कैंसर वाले लोग या फिर अन्य आमतौर पर भड़काऊ प्रकृति के हो जाते हैं. यह केमिकल बॉडी के अंदर तब ज्यादा बढ़ जाते हैं जब शरीर किसी संक्रमण से लड़ रहा होता है. सामान्य तौर पर ऐसा लगता है कि मरने की प्रक्रिया के दौरान लोगों का दर्द कम हो जाता है लेकिन इसके पीछे की वजह साफ नहीं है.
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