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इजरायल की साइबर टेक कंपनी एनएसओ समूह ने कुछ भी गलत करने से इन्कार किया है
यरुशलम, एजेंसी। इजरायल की साइबर टेक कंपनी एनएसओ समूह ने कुछ भी गलत करने से इन्कार किया है। उसने पेगासस साफ्टवेयर को गैर लोकतांत्रिक देशों को बेचे जाने के आरोपों व आलोचनाओं को 'पाखंड' करार दिया और इस निगरानी तकनीक की तुलना सैन्य उपकरणों से की जो दूसरे देशों द्वारा बेचे जा रहे हैं। कंपनी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब इजरायल व भारत समेत अन्य देशों में पेगासस के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं। एनएसओ समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शालेव हुलियो ने शनिवार को इजरायली चैनल 12 को दिए गए साक्षात्कार में कंपनी की गतिविधियों का पुरजोर बचाव किया।
उन्होंने कहा, 'सिर्फ एक देश नहीं है, जिसे हमने बेचा है.. इसलिए यह कहना पाखंडपूर्ण है कि एफ-35 और ड्रोन बेचना ठीक है, लेकिन खुफिया सूचना एकत्र करने वाला उपकरण बेचना ठीक नहीं है।' उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी के पास प्रौद्योगिकी की खरीद के लिए लगभग 90 ग्राहक आए थे, जिनमें से सिर्फ 40 को निर्धारित नियमों के अनुसार बिक्री की गई। अमेरिका द्वारा कंपनी को काली सूची में डाले जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'हमारी प्रौद्योगिकी ने पिछले कुछ वषरें में अमेरिका के हितों व राष्ट्रीय सुरक्षा में मदद की है। मुझे लगता है कि एनएसओ जैसी कंपनी को काली सूची में डालना महज नाराजगी है.. मैं आश्र्वस्त हूं कि कंपनी को इस सूची से बाहर किया जाएगा।'
अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के विपरीत काम करने के आरोप में एनएसओ समूह और उसके पेगासस साफ्टवेयर को अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने पिछले साल काली सूची में डाल दिया था। इजरायल ने इस विवाद से खुद को अलग रखा है। हुलियो ने इस बात से भी इनकार किया कि पेगासस का इस्तेमाल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के फोन को हैक करने में किया गया था। उन्होंने पेगासस का इस्तांबुल में सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या से संबंध होने से भी इन्कार किया। यह पूछे जाने पर कि क्या एनएसओ समूह ने अपनी स्थापना के बाद से गलतियां की हैं, उन्होंने कहा, '12 साल की अवधि में यह असंभव है कि आप गलती नहीं करें।'
अमेरिकी समाचार पत्र की रिपोर्ट के बाद फिर उछला पेगासस विवाद
हुलियो का यह साक्षात्कार अमेरिकी समाचार पत्र 'न्यूयार्क टाइम्स' की शुक्रवार की एक रिपोर्ट में किए गए दावे के एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि भारत ने इजरायल के साथ वर्ष 2017 में हुए दो अरब डालर के एक रक्षा सौदे के तहत पेगासस साफ्टवेयर खरीदा था। इस रिपोर्ट के बाद भारत में एक बार फिर से राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। विपक्ष ने सरकार पर अवैध जासूसी में संलिप्त रहने का आरोप लगाया और इसे देशद्रोह करार दिया। विवाद की शुरुआत पिछले साल हुई थी जब एक अंतरराष्ट्रीय खोजी कंसोर्टियम ने दावा किया था कि पेगासस साफ्टवेयर के जरिये भारत के मंत्रियों, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, कारोबारियों और पत्रकारों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों की जांच के लिए विशेषज्ञों की तीन सदस्यी स्वतंत्र समिति गठित की है।
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