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कई प्रजातियों का अस्तित्व पर है संकट, वैश्विक स्तर पर 71 फीसद की आई है गिरावट

Kajal Dubey
28 Jan 2021 4:40 PM GMT
कई प्रजातियों का अस्तित्व पर है संकट, वैश्विक स्तर पर 71 फीसद की आई है गिरावट
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महासागरों की सबसे तेज शिकारी माने जाने वाली शार्क और रे मछलियों की कई प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महासागरों की सबसे तेज शिकारी माने जाने वाली शार्क और रे मछलियोंकी कई प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि फिशिंग (मछली पकड़ना) का बढ़ता चलन जैव-विविधता के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। शार्क समेत कई अन्य समुद्री जीव महासागरों से हमेशा के लिए खत्म हो सकते हैं। अध्ययन में दावा किया गया है कि पिछले 50 वर्षों में महासागरों में रहने वाली शार्क और रे मछलियों की आबादी में वैश्विक स्तर पर 71 फीसद की गिरावट आई है।

ग्रेट हैमरहेड शार्क को ज्यादा खतरा
इसमें सबसे ज्यादा खतरा ग्रेट हैमरहेड नामक शार्क को है, जिन्हें संकटग्रस्त जीव के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। जर्नल नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, शार्क और रे की 24-31 प्रजातियों के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है जबकि शार्क की तीन प्रजातियां संकटग्रस्त श्रेणी में आ गई हैं। शोधकर्ताओं ने चिंता जताते हुए कि हिंद महासागर में वर्ष 1970 के बाद शॉर्क और रे की संख्या लगातार कम हो रही है। यहां अब तक इनकी कुल 84.7 फीसद आबादी कम हो चुकी है।

18 गुना बढ़ा दबाव
कनाडा के सिमोन फ्रेजर यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के विज्ञानियों ने अध्ययन में पाया कि हिंद महासागर में वर्ष 1970 से अब तक मछली पकड़ने पर दबाव 18 गुना बढ़ गया है। इसकी वजह से नि:संदेह के समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव पड़ा है और कई जीव बड़े पैमाने पर विलुप्त हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर मछली पकड़े जाने से न केवल शार्क बल्कि रे मछलियों पर भी विलुप्त का खतरा बढ़ गया है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इन मछलियों की विलुप्त होने से कई गरीब और विकासशील देशों में खाद्य संकट भी पैदा हो सकता है।


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