यूक्रेन संकट के बीच देश के कई लोग वहां फंसे हैं। यूक्रेन-रूस के बीच जंग के हालात हैं। हजारों भारतीय वहां फंसे हैं। ऐसे में वहां पढ़ने गए भारतीय विद्यार्थियों के परिजनों को उनकी चिंता सता रही है। हालांकि यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स को सरकार एक-दो दिन में देश लाने की तैयारी कर रही है। यूक्रेन में तनाव लगातार बढ़ रहा है और हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। इनमें मध्यप्रदेश के कई छात्र हैं। लुधियाना से भी संबंधित स्टूडेंट्स शामिल हैं, जोकि वहां एमबीबीएस करने गए हैं। इसके लिए उन्होंने काफी पैसे भी खर्च किए हैं। फ्लाइट की टिकट भी महंगी बिक रही है। जिन पेरेंट्स ने मुश्किल से बच्चों को बाहर भेजा था, उनके लिए पैसे खर्च कर उन्हें वापस लाना मुश्किल हो गया है। लुधियाना के अर्बन स्टेट दुगरी की रहने वाली सुकन्या भाटिया ने बताया कि उनकी बेटी भानवी भाटिया एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गई थी और तीन साल से वहां है। शुक्रवार को ऑफलाइन क्लास लगाई थी। इसके बाद वहां का माहौल खराब होने का पता चला तो उसकी चार्टर्ड प्लेन से टिकट बुक करवाई। मुश्किल की घड़ी में वहां पर प्लेन की टिकट के दाम और बढ़ा दिए गए हैं। 1 लाख रुपए तक की मोटी रकम वसूली जा रही है। तीन फ्लाइट वंदे भारत मुहैया करवाई गई हैं। सरकार को चाहिए कि वह बिना किसी खर्च स्टूडेंट्स को वहां से सुरक्षित बाहर निकालें, क्योंकि कई स्टूडेंट्स भुगतान करने में असमर्थ हैं। लुधियाना की बलजीत कौर ने बताया कि उनकी बेटी गुरशील कौर यूक्रेन में एमबीबीएस करने के लिए गई है और सेकेंड एयर में है। यूक्रेन में हो रही घटना संबंधी जब उन्हें पता चला तो एक बार वह भी घबरा गई थी। परंतु बेटी से बात करने पर उसने बताया कि यहां सब सामान्य है। बेटी और उसके साथ के बच्चे समझदार हैं और परिस्थितियों को संभालने में सक्षम भी हैं। 100 में से 30 फीसदी स्टूडेंट्स वापस आना चाहते हैं। जिन बच्चों के पेरेंट्स ने मुश्किल से बच्चों को पढ़ाने के लिए यूक्रेन भेजा है। वह प्लेन का खर्च झेल नहीं कर पा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जो बच्चे आना चाहते हैं, उन्हें सरकार मुफ्त में वापस लाएं। प्लेन की टिकट महंगी करना गलत है।