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इसे 4.5 अरब से दस अरब डालर तक बढ़ाने और 5.5 अरब डालर की सहायता करने की अपील की है।
इमरान खान की हाल की चीन यात्रा 'एक चीन की नीति', ताइवान, दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत के मुद्दों को बिना शर्त समर्थन देती है। इससे चीन पर पाकिस्तान की पूरी निर्भरता भी साफ दिखती है। अपने आका चीन से संबंधों को वह किसी भी कीमत पर सर्वोच्च वरीयता देता है।
थिंक टैंक पालिसी रीसर्च ग्रुप (पोरेज) के अनुसार चीन की अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नासिर्फ बीजिंग में हो रहे विंटर ओलंपिक्स के उद्घाटन समारोह में शिरकत की बल्कि चीन के सर्वोच्च नेताओं से भी मुलाकात की। उनके इस चीन दौरे का मूल उद्देश्य पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कर्ज और सहायता लेना था। पाकिस्तान के स्टेट बैंक के प्रमुख पहले ही स्वीकार चुके हैं कि उनके देश की अर्थव्यवस्था दिवालिया हो चुकी है।
थिंक टैंक का मानना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान भू-राजनीतिक मुद्दों पर और नजदीकी बढ़ाने के लिए शिनजियांग और हांगकांग पर भी चीनी भाषा बोलते हैं। इमरान खान ने जोर देकर कहा है कि वह चीन के सभी अहम मुद्दों को पूरा समर्थन देते हैं। वह चिनफिंग सरकार की एक चीन की नीति से लेकर ताइवान, दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत को लेकर भी चीन का पूरा समर्थन करते हैं। इसीलिए इमरान के ताजा चीन दौरे ने साबित कर दिया है कि वह पूरी तरह से अब चीन के पिछलग्गू बनकर रह गए हैं।
अपने परम प्रिय देश चीन की चमचागिरी में दौरे पर जाने से पहले पाकिस्तान सरकार ने अपनी अहम नीति में बदलाव की भी घोषणा कर दी। यात्रा से पहले ही चीन की शर्तो को पूरा करते हुए नौ स्वतंत्र चीनी बिजली उत्पादकों को 50 अरब रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा) का भुगतान कर दिया। पाकिस्तानी कैबिनेट ने इसके लिए रिवाल्विंग फंड की स्थापना को भी मंजूरी दे दी है।
डान अखबार के अनुसार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के विशेष सहायक खालिद मंसूर ने बताया कि पाकिस्तान ने चीन की इच्छाओं के आगे झुकना मंजूर किया है। उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि कुछ दिनों पहले एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है जिसमें चीनी निवेश के प्रस्तावों को लेकर पाकिस्तान सरकार ने नीतिगत बदलाव किए हैं। इसके लिए 37 केंद्रीय और प्रांतीय मंजूरी चाहिए होंगी।
मंसूर ने दावा किया कि चीन ने पाकिस्तान से वादा किया है कि वह उन्हें और कर्ज देगा। पाकिस्तान ने चीन से और चार अरब डालर के कर्ज पर फिर से समझौता करने को कहा है। इसे 4.5 अरब से दस अरब डालर तक बढ़ाने और 5.5 अरब डालर की सहायता करने की अपील की है।
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