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Coronavirus: अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी ठीक हो चुके लोगों को देनी चाहिए मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता

Kajal Dubey
18 Feb 2022 3:38 AM GMT
Coronavirus: अध्ययन के अनुसार  दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी ठीक हो चुके लोगों को देनी चाहिए मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता
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कोरोना वायरस से संक्रमित होने के एक साल बाद तक लोगों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक 40 करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. अकेले अमेरिका (America) में कोरोना से संक्रमित हुए लोगों की संख्या सात करोड़ 70 लाख से ज्यादा है. ऐसे में जब कोरोना पहले की तुलना में कम फैल रहा है, इस बीच अमेरिका में हुए एक अध्ययन (Study) में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के एक साल बाद तक लोगों को घबराहट, अवसाद और सोने में दिक्कत जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

ठीक हो चुके लोगों को देनी चाहिए मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता
''दि बीएमजे'' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि कोविड-19 से पीड़ित होकर ठीक हो चुके लोगों को मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए. अध्ययन के वरिष्ठ लेखक, वाशिंगटन विश्वविद्यालय के जियाद अल अली ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, "कोविड-19 संक्रमण ने दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के 1,48,00,000 नए मामले पैदा किये और महामारी के कारण अमेरिका में ऐसे 28 लाख से ज्यादा मामले सामने आए."
अनुसंधानकर्ताओं ने अमेरिका के पूर्व सैनिक कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटाबेस के आंकड़ों का इस्तेमाल किया और मार्च 2020 और जनवरी 2021 के बीच पीसीआर जांच में संक्रमित पाए जाने के कम से कम 30 दिन बाद लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के खतरे का अनुमान लगाया.
आत्महत्या करने के विचार आने का जोखिम 46 फीसदी
अध्ययन में संक्रमित लोगों में अफीम वाली दवाओं के आदी बनने की आशंका 34 फीसदी से ज्यादा पाई गई. वहीं, शराब या किसी अवैध मादक द्रव्य की लत लगने का जोखिम 20 फीसदी था. संक्रमित लोगों में आम लोगों की तुलना में आत्महत्या करने के विचार आने का जोखिम 46 फीसदी था.


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