जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना की वजह से नाविकों की जिंदगी की रफ्तार धीमी हो गई है। पिछले 16 महीने से चार लाख से ज्यादा नाविक, समुद्री कर्मचारी या तो बंदरगाह या फिर जहाजों में फंसे हुए हैं। फिलीपींस के सहायक इंजीनियर एलोन करीब 16 महीने से जहाज पर फंसे हुए थे।
पिछले हफ्ते जब उनका जहाज ब्राजील के सैंटोस बंदरगाह पहुंचा तो उनकी शादी की तय तारीख निकल चुकी थी। इस बीच एलोन ने तीन बार घर जाने की कोशिश लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो पाए। एलोन अकेले ऐसे नाविक नहीं है, ऐसे लाखों नाविक और कर्मचारी हैं, जो जहाज पर फंसे हैं।
दूसरी तरफ कोरोना महामारी को देखते हुए पोर्ट प्रशासन जहाजों को जगह देने और नए लोगों के आने से बच रहे हैं। कुछ देशों में चालक दल बदलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हांगकांग शिप ओनर्स एसोसिएशन के हेड जगार्ड ने कहा कि कुछ नाविक डेंटिस्ट के पास ना जाने की वजह खुद ही अपना दांत उखाड़ रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुसार जहाज पर रहने का अधिकतम समय 11 महीने है। ऐसे में यूनियनों का कहना है कि यह उनके अधिकारों का हनन है। उनका कहना है कि उनकी स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो गई है। इस फैसले से कुछ मल्टीनेशनल कंपनियां भी खुश नहीं है, उन्हें डर है कि ओद्योगिक कार्रवाई की वजह से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर असर पड़ सकता है।