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Coronavirus in China: चीन में कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट तबाही मचा रहा है, लेकिन अब यहां 'सुनामी' आने का अंदेशा जताया गया है. चीन की फूडान यूनिवर्सिटी की स्टडी ने अनुमान लगाया है कि अगर चीन ने अपनी जीरो-कोविड पॉलिसी में ढील दी तो जुलाई तक 16 लाख से ज्यादा मौतें हो सकतीं हैं. फूडान यूनिवर्सिटी की स्टडी ऐसे समय आई है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चीन से जीरो-कोविड पॉलिसी की बजाय संक्रमण रोकने के लिए कोई दूसरा तरीका अपनाने की बात कही है.
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना संक्रमण का पहला मामला आया था. 2020 में जब दुनियाभर में कोरोना फैलना शुरू हुआ, तब चीन ने इसे अपने यहां काबू करने का दावा किया था. 2021 में भी जब डेल्टा वैरिएंट सामने आया था, तो चीन ने 14 दिन में ही इस पर काबू करने का दावा किया था. लेकिन अब ओमिक्रॉन वैरिएंट ने उसकी हालत खराब कर दी है. डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कई गुना ज्यादा संक्रामक है और यही वजह है कि इसे काबू करने में स्वास्थ्य अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं.
चीन में सबसे खराब हालात शंघाई में हैं. यहां 6 हफ्ते से सख्त लॉकडाउन लगा है. 25 करोड़ से ज्यादा लोग लॉकडाउन में रह रहे हैं. वहीं, पूरे चीन में 40 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो किसी न किसी पाबंदी में गुजर-बसर कर रहे हैं.
चीन में ओमिक्रॉन से जारी तबाही के बीच फूडान यूनिवर्सिटी की स्टडी ने चिंता और बढ़ा दी है. फूडान यूनिवर्सिटी का कहना है कि अगर जीरो-कोविड पॉलिसी में ढील दी गई तो जुलाई तक 16 लाख से ज्यादा मौतें हो सकतीं हैं. इतनी मौतें होती हैं तो वहां अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ सकती है.
इस स्टडी में कहा गया है कि मार्च में चलाया गया वैक्सीनेशन कैंपेन ओमिक्रॉन की लहर को रोकने के लिए जरूरी इम्युनिटी बनाने के लिए काफी नहीं है. हालांकि, रिसर्चर्स का ये भी कहना है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाकर मौतों को कम किया जा सकता है. रिसर्चर्स का कहना है कि ओमिक्रॉन की लहर में एक तिहाई मौतें 60 साल से ज्याद उम्र के बुजुर्गों और अनवैक्सीनेटेड लोगों की हो सकती है. चीन में अब भी 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के 5 करोड़ बुजुर्गों ने वैक्सीन नहीं ली है.
फूडान यूनिवर्सिटी ने कम्प्यूटर मॉडल से अनुमान लगाया है कि अगर कोविड प्रतिबंधों में ढील हुई तो इससे कोरोना की 'सुनामी' आ सकती है. स्टडी के मुताबिक, कोविड प्रतिबंधों में ढील देने पर मई से जुलाई के बीच ओमिक्रॉन की लहर तेज हो जाएगी. ऐसा हुआ तो इस दौरान 11.22 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आएंगे और 51 लाख से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी. फूडान यूनिवर्सिटी का कहना है कि ओमिक्रॉन की लहर से चीन की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर 16 गुना भार बढ़ जाएगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस एडोनॉम घेब्रेयेसस ने चीन की जीरो-कोविड पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं. जेनेवा में एक प्रेस ब्रीफिंग में टेड्रोस ने कहा कि वायरस अपना नेचर बदल रहा है और ज्यादा संक्रामक हो रहा है, इसलिए अब इसे रोकने के तरीकों को भी बदलना होगा.
उन्होंने कहा कि जहां तक जीरो-कोविड पॉलिसी की बात है तो हमें नहीं लगता कि ये बहुत ज्यादा टिकाऊ नीति है. उन्होंने कहा कि वायरस के बदलते नेचर के कारण अब उपायों को भी बदलना होगा और जीरो-कोविड पॉलिसी भविष्य में टिकाऊ नहीं होगी.
टेड्रोस के इस बयान पर चीन ने भी अपना जवाब दिया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें (टेड्रोस को) ऐसी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये कितना भी मुश्किल क्यों न हो, चीन के लोगों और सरकार को इस वायरस को काबू में करने का पूरा भरोसा है.
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