कोरोना महामारी की चपेट में आने वाले एक तिहाई युवाओं के अंगों को कोरोना वायरस ने क्षतिग्रस्त किया है। ब्रिटेन के साइंटिफिक ग्रुप फॉर इमरजेंसी (एसएजीई) के सदस्य प्रो. कैलम सेंपल का कहना है कि 20 वर्ष की उम्र वाले जो लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए उनमें से एक तिहाई लोगों के अंगों को वायरस ने क्षतिग्रस्त किया है।
300 अस्पतालों में भर्ती 70 हजार मरीजों पर विशेषज्ञों का अध्ययन
प्रो. सेंपल और उनकी टीम ने संक्रमण के बाद पिछले साल अस्पताल में भर्ती हुए 70 हजार लोगों पर अध्ययन के बाद ये दावा किया है। प्रों. सेंपल बताते हैं कि वायरस सिर्फ बुजुर्गों या अधिक उम्र वालों को नुकसान नहीं पहुंचाता ये पूरी तरह झूठ है। युवाओं या जवान लोगों के स्वास्थ्य को भी वायरस बराबर नुकसान पहुंचा रहा है।
24 फीसदी की किडनी, 18 फीसदी का हृदय वायरस से क्षतिग्रस्त
अध्ययन में पता चला है कि कोरोना से फेफड़ों के साथ आमतौर पर किडनी और हृदय को अधिक नुकसान हो रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल और एडिनबर्ग के वैज्ञानिकों का कहना है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों में इस तरह की तकलीफ अधिक देखी गई लेकिन युवाओं में भी इस तरह के मामले कम नहीं है। ये चिंता का विषय है। 30 वर्ष की उम्र वाले लोगों में संक्रमण के कारण अंगों पर दुष्प्रभाव अधिक देखने को मिला है। 37 फीसदी लोगों में संक्रमण के कारण किसी न किसी अंग से जुड़ी तकलीफ हुई।
उम्र 50 से अधिक तो खतरा ज्यादा
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के डाटा साइंटिस्ट डॉ. थॉमस ड्रेक का कहना है कि शोध में पाया गया कि मौत का खतरा उनमें अधिक देखा गया जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक थी। हालांकि संक्रमण के कारण तकलीफ युवाओं को भी अधिक थी। अध्ययन में शामिल लोगों में से 1500 युवा ऐसे थे जिनकी उम्र बीस वर्ष थी। इसी तरह 19,900 लोगों की उम्र 80 वर्ष के बीच थी। 300 अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर शोध किया गया है।
वायरस से लड़ाई अंगों को नुकसान
प्रो. सेंपल और प्रो. ड्रेक बताते हैं कि वायरस ने शोध में शामिल 24 फीसदी लोगों को किडनी को नुकसान किया। किडनी को नुकसान होने का अर्थ है पूरी जिंदगी की बीमारी। इसी तरह 18 फीसदी लोगों के फेफड़ों जबकि 12 फीसदी में हृदय को नुकसान देखा गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर जब वायरस से लड़ता है तो इम्युन सिस्टम के अधिक सक्रिय होने पर वो वायरस के साथ अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है।