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2022 तक खत्म होगी कोरोना वायरस महामारी! WHO ने जगाया भरोसा; लेकिन...

Neha Dani
3 Jan 2022 6:35 AM GMT
2022 तक खत्म होगी कोरोना वायरस महामारी! WHO ने जगाया भरोसा; लेकिन...
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एक सामान्य जीवन में वापस लौटने की कल्पना कर सकते हैं.

दुनिया पिछले 2 सालों से कोरोना वायरस के अलग-अलग वैरिएंट से लड़ रही है. ऐसे में सभी लोग इस वक्त कोरोना वायरस से थक चुके हैं. लोग यही सोच रहे हैं कि आखिर चीन के वुहान से फैली इस महामारी का अंत कब होगा? इसका जवाब मिल गया है. अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉ. टेड्रस अधनोम (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने 2022 में इस बीमारी के अंत होने का भरोसा जताया है, लेकिन इसके लिए उन्होंने कंडीशन भी लगा दी है. जैसा की शुरू से ही कहा जा रहा है कि संक्रमण से बचने के लिए एकमात्र उपाय सिर्फ कोरोना वैक्सीन है. वहीं अब टेड्रस अधनोम ने कहा है कि 2022 कोरोना की महामारी का आखिरी साल हो सकता है, लेकिन इसके लिए विकसित देशों को अपने वैक्सीन दूसरे देशों के साथ साझा करनी होगा. तभी जाकर हम इस संक्रमण से निजात पा सकते हैं.

वैक्सीन जमाखोर बन सकते हैं बाधा
साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन की पॉलिसी को हमें लागू करना होगा. पूरे यकीन के साथ डबल्यूएचओ के प्रमुख ने कहा कि इस साल तक महामारी का अंत हो जाएगा, लेकिन वैक्सीन जमाखोर इसमें बाधा बन सकते हैं. ऐसे में वैक्सीन की असमानता ने ही ओमिक्रॉन वैरिएंट को पनपने दिया. आगे उन्होंने कहा कि वैक्सीन की जितनी असमानता रहेगी उतना ज्यादा ही जोखिम बना रहेगा.
असमानता का करना होगा खत्मा, तभी महामारी का अंत संभव
उन्‍होंने अपने बयान में कहा,' अगर हम वैक्सीनेशन वितरण असमानता को खत्म करते हैं तो महामारी का अंत संभव है. ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी COVAX, WHO और हमारे सहयोगी दुनियाभर में उन लोगों के लिए वैक्सीन, टेस्ट- इलाज को सुलभ बनाने का काम कर रहे हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है.' आगे उन्होंने कहा कि वैक्सीन से अब तक लाखों लोगों की जानें बचाई गई हैं. चिकित्सकों के पास अब कोविड-19 से बचाव और इलाज के लिए नई दवाएं और मेडिकल टूल्स भी उपलब्ध हैं.
दुनिया के कई हिस्से वैक्सीन लेने के मामले में पिछड़े
टेड्रेस ने कहा कि ताजा आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के कई हिस्से वैक्सीनेशन लेने के मामले में पिछड़ रहे हैं. इसमें बुरुंडी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्‍गो, चाड और हैती जैसे देश शामिल है. इन देशों में पूरी तहर से वैक्सीनेट लोगों की आबादी एक प्रतिशत से भी कम है. जबिक हाई इनकम वाले देशों में यह आंकड़ा 70 फीसद से भी अधिक होने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में वैक्सीनेशन असमानता से निपटने के बाद हम एक सामान्य जीवन में वापस लौटने की कल्पना कर सकते हैं.

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