विश्व

चीन में कोरोना वायरस को आए तीन साल पूरे, इन 5 वजहों से सुर्खियों में बना रहेगा 'ड्रैगन'

Neha Dani
2 Jan 2022 10:41 AM GMT
चीन में कोरोना वायरस को आए तीन साल पूरे, इन 5 वजहों से सुर्खियों में बना रहेगा ड्रैगन
x
ऐसे में ये नया साल चीन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा.

पूरी दुनिया ने साल 2022 में प्रवेश कर लिया है. ये नया साल चीन के लिए बेहद खास रहने वाला है. बीजिंग विंटर ओलंपिक से लेकर राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के तीसरे कार्यकाल तक, ये बात साफ है कि चीन पूरे साल लाइमलाइट में बना रहेगा. चीन में कोरोना वायरस (Coronavirus) को आए तीन साल पूरे हो गए हैं, यहीं से ये बीमारी पूरी दुनिया में फैली है. शी जिनपिंग तो तभी से देश से बाहर भी नहीं निकले हैं. अब इस नए साल में देखना ये होगा कि चीन के प्रति दुनिया कैसा रुख अपनाती है.

इस समय चीन का अमेरिका, भारत और ताइवान सहित दुनिया के कई देशों से विवाद चल रहा है. चीन के प्रति दुनिया की नाराजगी कम होने के बजाय लगातार बढ़ ही रही है. भारत के साथ सीमा पर तनाव चल रहा है, तो ताइवान (Taiwan China News) को डर है कि चीन उसपर कभी भी हमला कर सकता है. चीनी राष्ट्रपति ने हाल ही में ताइवान के मुख्य चीनी भूमि में एकीककरण को लेकर कई बयान दिए हैं, जिससे इस बात की आशंका और बढ़ गई है. चलिए अब उन पांच कारणों के बारे में जान लेते हैं, जिसकी वजह से चीन नए साल में भी सुर्खियों में बना रहेगा.
बीजिंग विंटर ओलंपिक 2022
कोरोना वायरस महामारी के बीच बीजिंग विंटर ओलंपिक (Beijing Winter Olympics) की शुरुआत फरवरी महीने से हो रही है. इस दौरान पूरी दुनिया की नजर चीन पर बनी रहेगी. इस कार्यक्रम में दुनिया के कई देश हिस्सा ले रहे हैं. इसके बाद बीजिंग समर और विंटर ओलंपिक दोनों खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन जाएगा. कोरोना वायरस से बचाव के लिए बबल अरेंजमेंट और होटल आइसोलेशन जैसे नियम अपनाए जा रहे हैं.
कई चीनी कार्यकर्ता इसका अभी से बहिष्कार कर रहे हैं. इन्होंने तिब्बत, शिंजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर विरोध जताया है. हाल ही में चीन की टॉप टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के गायब होने का मामला भी सुर्खियों में रहा, जिन्होंने सरकार के अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. जिसके बाद कई देशों ने इसके बहिष्कार की घोषणा कर दी.
कोरोना से बचाव के लिए नई रणनीति
कोरोना वायरस के पहले मामले से लेकर पहली लहर तक, सबकुछ चीन से ही शुरू हुआ है. लेकिन चीन ने लॉकडाउन और बड़े स्तर पर जांच करने सहित तमाम तरीके अपनाकर बीमारी को नियंत्रित कर लिया. चीन को बाकी देशों के मुकाबले कोरोना वायरस से बहुत कम या ना के बराबर ही नुकसान उठाना पड़ा है. उसने जीरो कोविड रणनीति (Zero Covid Strategy) का पालन किया है. इस नए साल में देखना ये होगा कि चीन अपनी रणनीति में कोई बदलाव करता है या फिर नहीं. फिलहाल चीन में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही एक बार फिर लॉकडाउन के नाम पर लोगों को घरों में कैद कर दिया गया है.
शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत
इस बात के भी साफ संकेत हैं कि शी जिनपिंग अपना तीसरा कार्यकाल शुरू करने जा रहे हैं. वह चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of China) की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के दौरान इसकी शुरुआत करेंगे. शी पहले ही चीन में राष्ट्रपति पद की सीमित अवधि को समाप्त कर चुके हैं. उनके नेतृत्व में पार्टी ने कला और संस्कृति से लेकर स्कूलों और बिजनेस तक, समाज के सभी क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया है. सार्वजनिक रूप से सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज दबाई जा रही है. अब तो सरकार ने लोगों के निजी जीवन में भी दखल देना शुरू कर दिया है. शी ने लोकतंत्र, प्रेस की स्वतंत्रता और न्यायिक स्वतंत्रता के खिलाफ एक तरह का वैचारिक युद्ध छेड़ा हुआ है.
2022 में अर्थव्यवस्था होगी बड़ी चुनौती
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले इस देश के लिए नया साल नई चुनौतियां लेकर आया है. चीन इस वक्त ऐसी परेशानियों से जूझ रहा है, जो 2022 में अर्थव्यवस्था की बढ़त पर असर डाल सकती है. इनमें कोविड लहर से लेकर सप्लाई चेन में व्यवधान तक के संकट शामिल हैं (China Economy News). हालांकि चीन में 2021 में आर्थिक बढ़त देखने को मिली है. कई अर्थशास्त्रियों ने लगभग 7.8 फीसदी का अनुमान जताया है. लेकिन 2022 में कहानी 2021 से अलग होगी. प्रमुख बैंकों ने अपने विकास दर अनुमान को घटाकर 4.9 फीसदी से 5.5 फीसदी के बीच कर लिया है. अगर ऐसा होता है तो इस साल 1990 के बाद दूसरी सबसे धीमी विकास दर रहेगी.
दुनिया के सामने सुधरेगी चीन की छवि?
दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिकों और नेताओं ने कोरोना वायरस महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वायरस यहीं से पूरी दुनिया में फैलना शुरू हुआ है. इन्होंने कहा कि वायरस को चीन के वुहान की लैब में तैयार किया गया था, जहां से लीक होकर ये दुनिया में फैल गया (China's Image in World). आरोप ये भी है कि चीन की सरकार ने वक्त पर दुनिया को इसकी जानकारी नहीं दी और उसके नागरिक दुनियाभर में घूमते रहे. जिससे वायरस भी फैलता रहा. इससे दुनिया के सामने चीन की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है. इस छवि को सुधारने के लिए चीन ने मदद के नाम पर देशों को मास्क, मेडिकल उपकरण, दवा और वैक्सीन की सप्लाई की है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही रहा कि चीन ने कैसे वायरस को नियंत्रित कर लिया?
जबकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे अमीर देश सभी उपाय अपनाने के बावजूद वायरस के कहर को रोक पाने में नाकाम रहे हैं. पिछले साल प्यू द्वारा किए गए सर्वे में बड़ी संख्या में 17 देशों के लोगों ने चीन के बारे में व्यापक रूप से नकारात्मक विचार रखा है. जापान में 88 फीसदी, स्वीडन में 80 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया में 78 फीसदी, दक्षिण कोरिया में 77 फीसदी और अमेरिका में 76 फीसदी. शी जिनपिंग खुद महामारी के बाद से देश के भीतर छिपे हुए हैं, जिसके कारण उनका देश वैश्विक मंच पर अलग-थलग दिखाई दे रहा है. ऐसे में ये नया साल चीन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा.


Next Story