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वाइब्रेशन से उसके भीतर मौजूद आरएनए को भी नुकसान होता है।
अल्ट्रासाउंड से होने वाली वाइब्रेशन से कोरोना वायरस को क्षति पहुंचाई जा सकती है। इसके जरिए वायरस का नए ढंग से इलाज भी तलाशा जा सकता है। यह दावा मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने किया है। इसके लिए चिकित्सकीय जांच में सामान्यत: उपयोग होने वाली 25 से 100 मेगाहर्ट्ज की अल्ट्रासाउंड फ्रीक्वेंसी ही काफी होती है।
एमआईटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, उन्हाेंने इसे कंप्यूटर सिम्युलेशन प्रोग्राम के जरिए साबित किया है। एक वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में एमआईटी के अप्लाइड मैकेनिक्स प्रोफेसर टोमाज विर्जिबिस्की ने दावा किया कि यह अल्ट्रासाउंड से कोविड-19 के नए लेकिन संभावित इलाज का संकेत है।
प्रयोग में साबित हुआ है कि वाइब्रेशन से कोरोना वायरस के बाहरी खोल को क्षतिग्रस्त किया जा सकता है। इसी पर वायरस के स्पाइक बने होते हैं जिससे वह फैलता है। वाइब्रेशन से उसके भीतर मौजूद आरएनए को भी नुकसान होता है।
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