कोरोना के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं. इसमें वैक्सीनेशन ने भी अहम भूमिका निभाई है. वहीं, कोरोना और वैक्सीनेशन को लेकर रोजाना नए शोध भी सामने आते रहते हैं. एक खबर के मुताबिक, कोविड-19 की वैक्सीन लेने के बाद बच्चों के 'मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम' की चपेट में आने के संकेत नहीं मिले हैं.
मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम से अंग हो सकते हैं प्रभावित
यह दावा 'द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ' में प्रकाशित एक विश्लेषण में किया गया है. बच्चों में 'मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम' के कारण बुखार के साथ कम से कम उनके 2 अंग प्रभावित हो सकते हैं और अक्सर पेट दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते या आंखें लाल होने आदि जैसे लक्षण भी नजर आते हैं. यह उन बच्चों में नजर आते हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, वयस्कों में ये लक्षण दुर्लभ ही नजर आते हैं. इससे कई बार अस्पताल में भर्ती होने की नौबत भी आ जाती है, लेकिन अधिकतर मरीज ठीक हो जाते हैं.
ब्रिटेन में आया था पहला मामला
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, इसका पहला मामला 2020 की शुरुआत में ब्रिटेन में सामने आया था. कई बार इसके लक्षणों को कावासाकी रोग से भी जोड़ दिया जाता है, जिससे सूजन और हृदय संबंधी परेशानी होती है. फरवरी 2020 से अमेरिका में 'मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम' के 6,800 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.
CDC ने किया शोध
कोविड-19 वैक्सीनेशन सुरक्षा निगरानी के तहत रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) और अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इसे प्रतिकूल लक्षणों की सूची में शामिल किया. जिन लोगों में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कोई लक्षण नहीं मिले, उनमें दिखे कुछ अन्य लक्षणों ने CDC और अन्य जगहों के शोधकर्ताओं को एक नया विश्लेषण करने के लिए प्रेरित किया.
वैक्सीन का सिंड्रोम से नहीं कोई संबंध
वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के बाल संक्रामक रोग विशेषज्ञ और बच्चों को दिए कोविड-19 रोधी 'मॉडर्ना' टीके के अध्ययन का नेतृत्व कर रहे डॉ. बडी क्रीच ने बताया कि ऐसी आशंका है कि वैक्सीन के कारण ऐसा हुआ हो, लेकिन यह केवल अटकल है और विश्लेषण में इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं. क्रीच ने कहा कि वैक्सीनेशन का इस बीमारी के साथ सटीक संबंध हमें नहीं पता है. मरीज के पहले संक्रमित ना होने के कारण केवल वैक्सीनेशन को इसका कारण नहीं माना जा सकता है.