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कोरोना रोकथाम: वैक्सीन पेटेंट का सवाल बना बाइडन की अग्निपरीक्षा, कई नोबेल पुरस्कार विजेता भी इस फैसले के खिलाफ

Deepa Sahu
17 April 2021 12:35 PM GMT
कोरोना रोकथाम: वैक्सीन पेटेंट का सवाल बना बाइडन की अग्निपरीक्षा, कई नोबेल पुरस्कार विजेता भी इस फैसले के खिलाफ
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कोरोना वायरस की रोकथाम के वैक्सीन के पेटेंट का सवाल

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: कोरोना वायरस की रोकथाम के वैक्सीन के पेटेंट का सवाल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए अग्नि-परीक्षा बन गया है। इससे न सिर्फ उनके प्रशासन, बल्कि पूरे अमेरिका की नैतिक छवि दांव पर लग गई है। दो दिन पहले दुनिया के 175 पूर्व नेताओं और नोबेल पुरस्कार विजेता शख्सियतों ने बाइडन को पत्र लिख कर वैक्सीन से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों (पेटेंट) को स्थगित करने की मांग की थी, ताकि दुनिया में सबका टीकाकरण सुनिश्चित किया जा सके। अब बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी के दस सीनेटरों ने उनसे ऐसी मांग की है। इन प्रभावशाली सीनेटरों की मांग की अनदेखी करना बाइडन प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा। अगर उन्होंने ऐसा किया, तो ये संदेश जाएगा कि अमेरिका इंसानियत पर कंपनियों के मुनाफे को तरजीह दे रहा है।

डेमोक्रटिक पार्टी के जिन सीनेटरों ने ये अपील जारी की है, उनमें सोशलिस्ट नेता बर्नी सैंडर्स भी हैं। सैंडर्स सीनेट की बजट समिति के अध्यक्ष हैं। उनके अलावा एलिजाबेथ वॉरेन, एड मार्के और शेरॉड ब्राउन जैसे सीनेटरों ने भी इस पर दस्तखत किए हैं। इन सीनेटरों ने दलील दी है कि कोरोना वायरस महामारी पर पूरे नियंत्रण के लिए जरूरी टीकाकरण तभी हो पाएगा, अगर अमेरिका पेटेंट अधिकारों को 'अस्थायी रूप से स्थगित' करे।
गौरतलब है कि वैक्सीन पर से पेंटेट हटाने की मांग सबसे पहले भारत और दक्षिण अफ्रीका ने उठाई थी। उन्होंने बीते अक्तूबर में ही इस संबंध में एक प्रस्ताव विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में पेश कर दिया था। उनके प्रस्ताव का 100 से ज्यादा देशों ने समर्थन किया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि पेटेंट हट जाने से अलग-अलग वैक्सीन उत्पादक पेटेंटेड फॉर्मूले की नकल कर बड़ी मात्रा में वैक्सीन उत्पादन कर सकेंगे। उससे दुनिया में टीकाकरण की रफ्तार तेज की जा सकेगी, जो अभी बेहद धीमी बनी हुई है। अब यही बात दस सीनेटरों ने भी कही है। उन्होंने बाइडन को भेजे पत्र में लिखा है- 'साधारण भाषा में कहें, तो अगर हम वायरस को हर जगह खत्म करना चाहते हैं तो हमारे लिए वैक्सीन उत्पादन, टेस्टिंग और उपचार को हर जगह उपलब्ध करना अनिवार्य है।'
वैक्सीन पर से पेटेंट हटाने की मांग का समर्थन विश्व स्वास्थ्य संगठन और दुनिया भर के बहुत से सिविल सोसायटी संगठनों ने भी किया है। इसके बावजूद अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने इससे संबंधित प्रस्ताव को रोक रखा है। जबकि बर्नी सैंडर्स के दफ्तर ने शुक्रवार को बाइडन को लिखे सीनेटरों के पत्र को जारी करते हुए एक ताजा सर्वे का जिक्र किया। उसके मुताबिक अमेरिका के 60 फीसदी मतदाताओं ने पेटेंट हटाने की मांग का समर्थन किया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के वोटरों में ये संख्या 72 फीसदी, जबकि स्वतंत्र मतदाताओं में 57 फीसदी है। यहां तक कि रिपब्लिकन पार्टी के भी 50 फीसदी मतदाता चाहते हैं कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए पेटेंट अधिकारों में छूट दी जानी चाहिए।
दस सीनेटरों ने अपने पत्र में बाइडन को संबोधित करते हुए लिखा है- 'आपके प्रशासन के पास यह अवसर है कि ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की वैश्विक प्रतिष्ठा को जो क्षति पहुंचाई उससे देश को निकाल ले और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मामले में विश्व मंच पर अमेरिका के नेतृत्व को बहाल करे।' गौरतलब है कि डब्ल्यूटीओ में 5 और 6 मई को होने वाली उसकी बैठक में पेटेंट हटाने के सवाल पर चर्चा होनी है। उस समय अमेरिका क्या रुख लेता है, उस पर दुनिया की नजर होगी। विश्लेषकों का कहना है कि अगर अमेरिका पेटेंट हटाने पर राजी नहीं हुआ, तो मानवता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठेंगे। बाइडन प्रशासन चीन की कथित वैक्सीन डिप्लोमेसी का जवाब देने की तैयारी में रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक अगर वह पेटेंट अधिकारों में छूट के लिए तैयार हो गया, तो उससे उसके इस प्रयास को बल मिलेगा। वरना, ज्यादातर देश चीन की इस बात पर भरोसा करेंगे कि अमेरिका को चिंता सिर्फ अपनी कंपनियों के मुनाफे की है।
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