विश्व

दूसरी बीमारियों का इलाज कराने अस्पताल गए मरीज हुए कोरोना संक्रमित, 9000 की मौत

Gulabi
25 May 2021 12:37 PM GMT
दूसरी बीमारियों का इलाज कराने अस्पताल गए मरीज हुए कोरोना संक्रमित, 9000 की मौत
x
9000 कोरोना संक्रमित की मौत

आधिकारिक एनएचएस डेटा (NHS Data) से पता चलता है कि अस्पताल के वार्ड में कोविड (Covid) की चपेट में आने के बाद ब्रिटेन (Britain) के लगभग 9,000 मरीजों की मौत हो गई, जो दूसरी बीमारियों का इलाज करा रहे थे. इंग्लैंड में एनएचएस ट्रस्ट (NHS Trust) के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2020 से अस्पताल में रहते हुए 32,307 लोग संभवतः या निश्चित रूप से इस बीमारी की चपेट में आ गए और उनमें से 8,747 लोगों की मौत हो गई.


यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स बर्मिंघम में सबसे ज्यादा 408 मौतें दर्ज की गईं. वहीं दूसरे स्थान पर नॉटिंघम यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स (279) और फ्रिमली इन सरे (259) तीसरे स्थान पर रहा. पीड़ित अस्पतालों में कई कारणों से कोरोना की चपेट में आए थे. पूर्व स्वास्थ्य सचिव जेरेमी हंट ने कहा कि अस्पताल से सामने आए कोविड संक्रमण के मामले और मौत के आंकड़े 'इस महामारी के मूक घोटालों में से एक' हैं. उन्होंने कहा कि उनमें से कई लोगों को बचाया जा सकता था.

मौत का आंकड़ा दो तरह के मरीजों का
एनएचएस के अधिकारियों ने कहा कि महामारी की शुरुआत में टेस्टिंग और पीपीई (Personal Protective Equipment) की कमी ने वायरस को फैलने से रोकना कठिन बना दिया था. एनएचएस इंग्लैंड ने अगस्त के बाद से अस्पताल से कोरोना की चपेट में आए संक्रमितों की संख्या प्रकाशित की है लेकिन नियमित रूप से मृत्यु का खुलासा नहीं किया है.

नए आंकड़ों में वे सभी लोग शामिल हैं जिनकी कोविड पॉजिटिव पाए जाने के 28 दिनों के भीतर मौत हो गई. आंकड़ों में यह नहीं बताया गया है कि क्या किसी व्यक्ति की मौत सीधे तौर पर कोविड से हुई या किसी दूसरे कारण से. मौत का डेटा दो तरह के मरीजों की ओर इशारा करता है. अस्पताल में भर्ती होने के आठ से 14 दिनों के भीतर कोविड पॉजिटिव पाए जाने वाले- 'संभावित मामले' और 15 दिनों या उससे ज्यादा समय तक भर्ती रहने के बाद पॉजिटिव पाए जाने वाले- 'स्पष्ट मामले'.

बिना लक्षण वाले मरीज बनते हैं संक्रमण का कारण
पूरे संकट के दौरान वार्डों में वायरस का प्रसार एनएचएस के लिए एक समस्या रही है, जिन अस्पतालों में अधिक संक्रमित रोगी हैं, उन्हें इसका प्रबंधन करना कठिन लगता है. हालांकि अस्पताल कर्मचारी हर समय पीपीई किट पहने रहते हैं और अस्पतालों में भी कोविड और गैर-कोविड मरीजों को अलग और आइसोलेशन में रखा जाता है फिर भी वायरस उन रोगियों में से फैलता है जिनमें कोई लक्षण नहीं होते या जिनका कोविड टेस्ट 'गलत' रूप से नेगेटिव आता है.
Next Story