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कोरोना संकट: भारत को सप्लाई के लिए हमारे पास सरप्लस वैक्सीन डोज नहीं, ब्रिटेन ने किया साफ

Deepa Sahu
29 April 2021 9:09 AM GMT
कोरोना संकट:  भारत को सप्लाई के लिए हमारे पास सरप्लस वैक्सीन डोज नहीं, ब्रिटेन ने किया साफ
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ब्रिटेन फिलहाल कोरोना संकट में अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: ब्रिटेन फिलहाल कोरोना संकट में अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।ऐसे में उसके पास कोरोना वैक्सीन की सरप्लस डोज नहीं है, जिसे इस स्थिति में भारत समेत किसी अन्य देश के साथ शेयर किया जा सके। मंगलवार को डाउनिंग स्ट्रीट ने यह बात कही। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का जिक्र करते हुए ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी तरफ से भारत को 495 ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स, 120 नॉन-इनवेजिव वेंटिलेटर्स और 20 मैन्युअल वेंटिलेटर्स की सप्लाई की जा रही है। मंगलवार को सुबह ही ब्रिटेन से 95 ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स और 100 वेटिंलेटर्स की पहली खेप दिल्ली पहुंच गई।

ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा, 'हमने फरवरी में वादा किया था कि हम उन देशों को अपनी ओर से सप्लाई करेंगे, जिन्हें जरूरत है। हमारी ओर से उन चीजों की सप्लाई की जाएगी, जिनकी हमारे अधिकता होगी।' ब्रिटिश पीएम के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल हमारी प्राथमिकता ब्रिटिश जनता है। इसके चलते हमारे पास अतिरिक्त डोज नहीं हैं, लेकिन हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं। हम यह समझते हैं कि जब तक सभी लोग इस महामारी से सुरक्षित नहीं हैं, तब तक कोई भी सेफ नहीं है। इसीलिए ब्रिटेन ने कोरोना संकट से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है और भारत को भी संबंधित उपकरणों और ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स आदि की सप्लाई की है।
इस बीच ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने बड़े पैमाने पर फंड जुटाया है ताकि भारत को मदद दी जा सके। ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स समेत तमाम जरूरी चीजों की सप्लाई में इसे खर्च किया जाएगा। बता दें कि अब तक ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, यूएई, सऊदी अरब समेत कई देशों ने भारत को मदद की पेशकश की है। इसके अलावा अमेरिका ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से बातचीत के बाद अपना रुख बदला है। अमेरिका ने शुरुआत में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को तैयार करने के लिए जरूरी कच्चे माल की सप्लाई पर रोक हटाने से इनकार कर दिया था। हालांकि अब अमेरिका का कहना है कि भारत ने महामारी के शुरुआती दौर में मदद की थी, इसलिए हम भी अब उसके साथ हैं।
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