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अमेरिका और यूरोप में क्वारंटीन का समय घटाने पर उठा विवाद

Subhi
4 Jan 2022 1:00 AM GMT
अमेरिका और यूरोप में क्वारंटीन का समय घटाने पर उठा विवाद
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अमेरिका के बाद अब यूरोप में भी कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों के लिए क्वारंटीन की अवधि घटाने के सवाल पर विवाद खड़ा हो गया है।

अमेरिका के बाद अब यूरोप में भी कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों के लिए क्वारंटीन की अवधि घटाने के सवाल पर विवाद खड़ा हो गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ कई यूरोपीय देशों में श्रमिकों की भारी कमी हो गई है। इसी को देखते हुए कई देशों ने ये निर्णय लिया है। आलोचकों का कहना है कि इन देशों की सरकारें लोगों की सेहत की जगह अर्थव्यवस्था को तरजीह दे रही हैं।

महामारी का नया दौर आने के बाद कई देशों ने मास्क पहनना अनिवार्य करने जैसे कदम उठाए हैं। लेकिन उन्होंने आइसोलेशन संबंधी नियमों में रियायत भी दी है। बताया जाता है कि इसके पीछे मकसद जरूरी सेवाओं को चालू रखना और अर्थव्यवस्था को ज्यादा प्रभावित न होने देना है।
ग्रीस बना पहला देश
यूरोप में ग्रीस ऐसा पहला देश बना, जिसने संक्रमित लोगों के लिए क्वारंटीन पीरियड को घटा कर पांच दिन का कर दिया। पहले वहां कोविड-19 वायरस से संक्रमित लोगों को कम से कम दस दिन क्वारंटीन में रहना अनिवार्य था। ग्रीस ने पिछले हफ्ते इस नियम को बदलते हुए कहा कि वह अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के सुझाव का पालन कर रहा है। बीते हफ्ते ही सीडीसी ने अमेरिका में क्वारंटीन की अवधि घटा कर पांच दिन कर दी थी।
ग्रीस के इस फैसले के बाद यूरोप के कई और देशों में ऐसे फैसले लिए गए। ब्रिटेन में आइसोलेशन की अवधि घटा कर सात दिन कर दी गई। स्पेन और आयरलैंड ने भी इस अवधि को सात दिन कर दिया है। पहले इन दोनों देशों में आइसोलेशन पीरियड दस दिन का था। उधर इटली ने अपनी नई घोषणा के तहत उन लोगों को क्वारंटीन में रखने का नियम खत्म कर दिया है, जो किसी संक्रमित के संपर्क में आए हों। अगर ऐसे व्यक्ति ने कोरोना वायरस वैक्सीन के दोनों डोज ले रखे हों, तो अब उसे क्वारंटीन में नहीं रहना होगा।
5.5 दिन में संक्रमण से मुक्त हो जाते हैं टीका लगवाने वाले
कई देशों के सरकारी अधिकारियों ने दावा किया है कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण हो जाने के कारण अब संक्रमण के बाद लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं। उन्होंने एक अमेरिकी अध्ययन का भी जिक्र इस सिलसिले में किया है। उस अध्ययन में यह देखने को कोशिश की गई कि जिन लोगों ने टीका लगवा लिया है, उनसे संक्रमण फैलने की कितनी गुंजाइश रहती है। अध्ययन में पाया गया कि टीका लगवा चुके लोग औसतन 5.5 दिन में संक्रमण से मुक्त हो जाते हैं। जबकि बिना टीका लगवाए लोगों के कोविड-19 संक्रमण से मुक्त होने में औसतन 7.5 दिन का समय लगता है।
लेकिन आलोचकों का कहना है कि अभी इस अध्ययन निष्कर्ष की दूसरे विशेषज्ञों ने पुष्टि नहीं की है। फिर ये अध्ययन कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा वैरिएंट्स से संक्रमित हुए लोगों पर किया गया था। यह अध्ययन उस समय हुआ था, जब ओमिक्रोन वैरिएंट का अभी जितना प्रसार नहीं हुआ था।
इसी वजह से कई वैज्ञानिकों ने आइसोलेशन या क्वारंटीन पीरियड घटाने का विरोध किया है। अमेरिका के येल इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के निदेशक साद उमर ने कहा है- ऐसे फैसले का नतीजा यह होगा कि बहुत से संक्रमित लोग अपने कार्यस्थलों पर चले जाएंगे और वहां संक्रमण फैलाएंगे। उससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए नए खतरे पैदा होंगे।

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