विश्व
कैपस्टोन स्पेसक्राफ्ट से बहाल हुआ संपर्क, चंद्रमा पर जाने के नए रूट की कर रहा है टेस्टिंग
Gulabi Jagat
7 July 2022 5:05 PM GMT

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) एक बार फिर से इंसानों को चंद्रमा पर उतारने का मिशन तैयार कर रही है। इस मिशन से पहले उसने माइक्रोवेव ओवन के आकार वाले एक सैटेलाइट क्यूबसैट (CubeSat) को लॉन्च किया है। इसका पूरा नाम है, सिस्लुनार ऑटोनॉमस पोजिशनिंग सिस्टम टेक्नोलॉजी ऑपरेशंस एंड नेविगेशन एक्सपेरिमेंट (CAPSTONE)। कैपस्टोन को जून के आखिर में न्यूजीलैंड के माहिया प्रायद्वीप से लॉन्च किया गया था। इस सैटेलाइट का मकसद भविष्य में चांद पर जाने वाले मिशनों के लिए एक नए रूट को टेस्ट करना है, लेकिन कैपस्टोन सैटेलाइट का सफर बेहद असामान्य बना हुआ है। तीन दिन पहले खबर आई थी कि यह सैटेलाइट पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा से सफलतापूर्वक आजाद हो गया है और चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। यानी सैटेलाइट ने एक नए रूट से गुजरना शुरू कर दिया था। इसके बाद पता चला कि क्यूबसैट मिशन ने पृथ्वी के साथ अपना कम्युनिकेशन खो दिया है।
अब नासा ने एक बयान में कहा है कि मिशन ऑपरेटरों ने कैपस्टोन स्पेस क्राफ्ट के साथ फिर से संपर्क स्थापित किया है। जल्द बाकी अपडेट दिए जाएंगे। कहा गया है कि हमने CAPSTONE के साथ फिर से कम्युनिकेशन स्थापित किया है। स्पेसक्राफ्ट हैपी और हेल्दी दिख रहा है।
MISSION UPDATE: Communications are back!
— NASA Ames (@NASAAmes) July 6, 2022
Operators have successfully re-established contact with our #CAPSTONE spacecraft. Additional updates to come on the #Artemis blog: https://t.co/0MWN3zET6D pic.twitter.com/Ld5ubwDlng
इसने 28 जून को रॉकेट लैब इलेक्ट्रॉन रॉकेट पर सवार होकर चंद्रमा पर उड़ान भरी थी। 4 जुलाई को अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की कक्षा को छोड़ दिया था और चंद्रमा की अपनी यात्रा शुरू की थी। इसके एक दिन बाद ही अंतरिक्ष यान को कम्युनिकेशन में परेशानी का सामना करना पड़ा था। बहरहाल, अब सबकुछ ठीक नजर आ रहा है। महज 55 पाउंड वजन वाला कैपस्टोन स्पेसक्राफ्ट नवंबर में चंद्रमा तक पहुंच सकता है।
बात करें आर्टिमिस मिशन की, तो यह नासा के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोग्राम्स में से एक है। इसका मकसद 1970 के दशक के बाद पहली बार इंसान को चंद्रमा पर उतारना है। नासा का लक्ष्य लंबे समय के लिए चंद्रमा पर इंसान की मौजूदगी स्थापित करना है। इसके साथ ही मंगल पर जाने के लिए चंद्रमा को लॉन्चपैड में बदलना है। आर्टिमिस-1 इस जटिल सीरीज का पहला हिस्सा है। वहीं, SLS रॉकेट दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट होने जा रहा है, जो मिशन को तेजी से आगे भेजने में सक्षम होगा।
बीते दिनों अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने बताया था कि उसकी टीमें आर्टेमिस मिशन के प्रमुख हिस्सों को भी टेस्ट कर रही हैं, जिन्हें पहले दो मिशन के बाद लॉन्च किया जाना है। ये आर्टिमिस-3, 4 और 5 मिशन होंगे। आर्टेमिस-1 मिशन के जरिए चंद्रमा को एक्स्प्लोर किया जाएगा। यह स्पेसक्राफ्ट चार से छह सप्ताह में पृथ्वी से 280,000 मील की यात्रा करेगा। हालांकि मिशन की लॉन्चिंग में देरी हुई है।
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