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इन मसलों को लेकर दोनों देशों के बीच एक नए तरह का शीत युद्ध शुरू हो सकता है।
नए साल में ताइवान और तिब्बत को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ सकता है। ताइवान और तिब्बत को लेकर एक शीत युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। नए वर्ष के ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत मामले के लिए भारतीय मूल की राजनयिक अजरा जिया को अपना स्पेशल को-आर्डिनेटर नियुक्त करके चीन को उकसा दिया है। अमेरिका के इस कदम से चीन पूरी तरह से तिलमिलाया है। एक तो मामला तिब्बत में अमेरिकी हस्तक्षेप और दूसरा भारतीय मूल के राजनयिक की नियुक्ति से चीन पूरी तरह से बौखला गया है। बाइडन प्रशासन के इस कदम से यह आशंका प्रबल हो गई है कि नए साल में भी अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ना तय है।
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि कूटनीतिक मोर्चे पर चीन और अमेरिका के बीच संघर्ष होना तय है। चीन के खिलाफ बाइडन प्रशासन अपनी एक ठोस रणनीति जरूर बनाएगा। इस वर्ष भी दोनों देशों के बीच कूटनीतिक जंग के तेज होने के आसार हैं। कूटनीतिक मोर्चे पर बाइडन प्रशासन ने अपना एजेंडा सेट कर लिया है। इसलिए चाहे ताइवान का मसला हो या तिब्बत का दोनों मोर्चे पर कूटनीतिक जंग के ज्यादा आसार हैं। उन्होंने कहा कि बाइडन का लोकतांत्रिक देशों का सम्मेलन इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए। लोकतांत्रिक सम्मेलन चीन और रूस को लेकर ही केंद्रित था। ऐसा करके बाइडन प्रशासन ने संकेत दिया है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच वैचारिक जंग और तेज होगी।
2- प्रो. पंत का कहना है कि यह हो सकता है राष्ट्रपति बाइडन चीन से सीधे जंग के बजाए कूटनीतिक मोर्चे पर घेरने की तैयारी में हो। यही कारण है कि बाइडन प्रशासन ने बहुत चतुराई से तिब्बत का मुद्दा छेड़कर चीन का ध्यान ताइवान की और से हटाया है। राष्ट्रपति बाइडन ऐसे कई मोर्चों पर चीन का ध्यान बांटना चाहता है। इसमें तिब्बत के साथ उइगर मुस्लिमों की समस्या भी शामिल है। बाइडन प्रशासन इस जुगत में हैं कि चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग का ध्यान ताइवान से ज्यादा तिब्बत और चीन में उइगर मुस्लिमों की ओर खींचा जाए। इन मसलों को लेकर दोनों देशों के बीच एक नए तरह का शीत युद्ध शुरू हो सकता है।
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