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ट्रंप के कार्यकाल से बहुत पहले ही बन चुकी थीं तालिबान राज की वापसी की परिस्थितियां
jantaserishta.com
29 April 2023 8:39 AM GMT
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वॉशिंगटन (आईएएनएस)| अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए अमेरिका के विशेष महानिरीक्षक (एसआईजीएआर) ने हाल ही में एक गुप्त स्रोत से बड़ी संख्या में नए दस्तावेज प्राप्त किए हैं, जिसमें अशरफ गनी लोन सरकार के पतन से पहले युद्धग्रस्त देश से पैसा बाहर भेजने संबंधी आरोपों के बारे विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। इसकी जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन दस्तावेजों से संकेत मिलते हैं कि ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के रास्ते करोड़ों डॉलर नकद और सोने के रूप में देश से बाहर निकाले गए हो सकते हैं।
अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए विशेष महानिरीक्षक जॉन एफ. सोपको ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की निगरानी एवं जवाबदेही समिति के समक्ष हालिया गवाही में कहा कि ऐसे आरोप हैं कि ये पैसे अफगान सरकार के तत्कालीन या पूर्व सदस्यों सहित प्रभावशाली लोगों द्वारा या उनकी ओर से भेजे गए थे।
उन्होंने कहा कि हालांकि दोहा समझौते पर हस्ताक्षर करने के डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के निर्णय और जो बाइडेन प्रशासन द्वारा उसका पालन करते हुए अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी गनी लोन की अफगानिस्तान सराकार के पतन के तात्कालिक कारण थे। इन फैसलों के कुछ पुराने उदाहरण हैं जो 2001 में मिशन की शुरुआत से पहले के हैं।
एसआईजीएआर पूर्व अफगान सरकार के अधिकारियों, राजनीतिक पहुंच वाले व्यक्तियों और संदिग्ध लेनदेन में शामिल अन्य लोगों की पहचान करने का काम कर रहा है। साथ ही यह उन बेहद महंगे रियल इस्टेट सौदों की भी पहचान कर रहा है जो जिनका इन लोगों ने अमेरिका या दूसरे देशों में संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल किया है। पैसे के देश से बाहर जाने और संभावित सीजर को लेकर भी उनकी जांच की जा रही है।
यह डेटा पैसे के बाहर भेजने में शामिल अफगानिस्तान के वित्तीय और अन्य संस्थानों के बारे में भी इशारा कर सकता है।
एक अन्य पहल में, एसआईजीएआर ठेकेदारों के साथ मिलकर संयुक्त अरब अमीरात और तुर्की जैसे देशों से ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है जो पहले इसके लिए उपलब्ध नहीं था। उस जानकारी की तुलना पूर्व अफगान सरकार के अधिकारियों या राजनीतिक रूप से जुड़े व्यक्तियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं और शेल निगमों की पहचान करने के लिए प्राप्त वायर ट्रांसफर डेटा से की जाएगी, जो धन की चोरी या अफगानिस्तान से पैसा बाहर भेजने से लाभान्वित हो सकते हैं।
व्यापक जांच और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम करने के बाद एसआईजीएआर ने ग्लोबल मैग्निट्स्की ह्यूमन राइट्स अकाउंटेबिलिटी एक्ट के तहत प्रतिबंधों की जांच के लिए एक प्रमुख पूर्व अफगानी अधिकारी को नामित किया है।
जिसकी जांच की जा रही है उस व्यक्ति का सरकारी ठेकों से जुड़े फर्जीवाड़ों में शामिल रहने का इतिहास रहा है। उसका रूस के एक उच्च पदासीन अधिकारी के साथ संदिग्ध कारोबारी संबंध रहा है।
एसआईजीएआर ने कहा कि तालिबान की सत्ता में वापसी में मदद करने वाली स्थिति दशकों से बनी हुई थीं।
कई अंतर्निहित समस्याएं, जिन्होंने अफगान सरकार की अंतिम मृत्यु में योगदान दिया, वर्षों से मौजूद थीं, और लंबे समय से दोनों राष्ट्रपतियों ट्रम्प और बिडेन के प्रशासन से पहले की थीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी उद्देश्यों को प्राप्त करने की रणनीति बदलती रही, अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक समय को लगातार कम करके आंका और अवास्तविक समयसीमा बनाई जिसके कारण जल्द से जल्द पैसा खर्च करना प्राथमिकता बन गया। परिणामस्वरूप बढ़े धन के प्रवाह ने भ्रष्टाचार को बढ़ाया और कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को कम कर दिया।
अमेरिका ने जो संस्थान और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं बनाईं वे टिकाऊ नहीं थीं। आम नागरिकों और सेना के जवानों के लिए बनाई गई नीतियां उल्टी पड़ गईं जिसस्े पूरा किया कराया पानी होने की कगार पर था।
निरंतर असुरक्षा बने रहने से प्रयासों पर प्रतिकूल असर हुआ। अमेरिकी सरकार अफगानिस्तान के संदर्भ को नहीं समझ सकी और इसलिए उस हिसाब से अपने प्रयासों में बदलाव लाने में विफल रही। अमेरिकी एजेंसियां शायद ही कभी अपने प्रयासों को समझने के लिए अच्छी तरह निगरानी या मूल्यांकन किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगान सरकार के उच्च स्तर के केंद्रीकरण और महामारी के दौरान भ्रष्टाचार ने सरकार की विश्वसनीयता कम की।
एसआईजीएआर ने कहा, ये कारक, जिनमें से कुछ अमेरिकी पुनर्निर्माण प्रयास की शुरुआत से ही मौजूद थे - और एसआईजीएआर तथा अन्य लोगों द्वारा पर्याप्त चेतावनी के बावजूद उनमें से कोई भी दूर नहीं किया गया था - ने ऐसी परिस्थितियों का निर्माण किया जिसकी वजह से हाल के दिनों के तत्कालिक कारकों से प्रक्रिया में तेजी आई और अंतत: अफगानिस्तान में चुनी हुई सरकार की जगह हथियारबंद बलों का शासन कायम हुआ। इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में जो हुआ उसकी जड़ें दश्कों पहले नीति निमार्ताओं, राजनयिकों, सहायता अधिकारियों और सैन्य नेताओं द्वारा किए गए फैसलों में निहित हैं।
फिर भी अफगान सरकार के पतन में चार महीने से कुछ कम समय लगा जिससे कई लोग आश्चर्य चकित हैं। एसआईजीएआर ने इसमें योगदान देने वाले पांच अल्पकालिक कारकों की पहचान की है।
सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर अमेरिका के ढुलमुल रवैये के इतिहास की वजह से अफगान सरकार के अधिकारियों को यकीन था कि अमेरिका इसे लेकर गंभीर नहीं है। अफगानिस्तान से बाहर निकलने की अमेरिका की इच्छा के बारे में बुश, ओबामा और ट्रम्प प्रशासन के दौरान कई आधिकारिक घोषणाओं के बावजूद, अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अमेरिकी इरादों की गंभीरता को व्यक्त करने में विरोधाभासी संदेश विफल रहे।
जब अमेरिकी सेना और उसके ठेकेदारों ने अफगानिस्तान से वापसी की उस समय स्थानीय सरकार तालिबान के खिलाफ लड़ाई का प्रबंधन करने के लिए तैयार नहीं थी। अफगानिस्तान एनालिस्ट्स नेटवर्क ने सरकार के पतन के दिन रिपोर्ट दी, (अफगान) सरकार एक असली जैसे दिखने वाले बुलबुले में फंस गई है। जब तालिबान आगे बढ़ रहा था, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी अभी भी दान-संचालित समारोहों और बैठकों के बारे में बयान जारी कर रहे थे।
एसआईजीएआर ने कहा कि गलती दोनों (ट्रम्प और बाइडेन) सरकारों की है। अफगानिस्तान सरकार के अधिकारी अक्सर सरकार को मुसीबत में डालकर निजी फायदों पर ध्यान केंद्रित करते रहे; यह नेतृत्व करने वालों से ज्यादा लेने वालों का देश था। 20 साल में अफगान सरकार ने शायद ही कभी किसी महत्वपूर्ण काम के लिए तैयारी करने की क्षमता का प्रदर्शन किया हो - न चुनाव, न सामाजिक सेवा और न ही कानून का शासन।
अपनी तरफ से अमेरिका के पास एक दीर्घकालिक, सुसंगत रणनीति तथा सिद्धांतों, नीतियों और संसाधनों की कमी थी - किसी दूसरे देश की सेना को शुरू से बनाने के लिए जिसकी आवश्यकता थी। अफगानिस्तान से बाहर निकलने की अमेरिका की लगातार इच्छा के परिणामस्वरूप अमेरिकी सेना ने उन कार्यों को करके सफलता की आभास पैदा करने का काम किया, जिन्हें करने के लिए उसे अफगान सेना को प्रशिक्षित करना था।
डिफेंस वन की खबर के अनुसार, व्हाइट हाउस ने हाल ही में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की कार्रवाई के बाद की समीक्षा जारी की और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि समस्याएं ट्रम्प प्रशासन की गलती से पैदा हुईं।
जब राष्ट्रपति ट्रम्प ने पदभार ग्रहण किया, तब अफगानिस्तान में 10,000 सैनिक थे। ट्रम्प ने कैंप डेविड में उनके साथ बैठक करके और सैनिकों को बाहर निकालने और 5,000 से अधिक तालिबानी लड़ाकों को जेल से मुक्त करने के लिए एक समझौताकरके तालिबान को साहस दिया, जिसने बाइडेन को एक असंभव स्थिति में डाल दिया। इसमें कहा गया है कि बाइडेन के विकल्प उनके पूर्ववर्ती द्वारा बनाई गई स्थितियों से गंभीर रूप से सीमित थे।
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