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लुंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पहले ही इस विषय पर सिम्यूलेशन आधारित अध्ययन शुरू कर दिया है
खगोलविज्ञान में गणना का बहुत महत्व है. हमारे ब्रह्माण्ड (Universe) का इतना ज्यादा विस्तार है कि तारों और गैलेक्सी (Galaxies) की स्थिति और अवलोकित हो रही घटनाओं की दूरी के आधार पर उनका घटित होने के समय का भी अनुमान लगाना मुश्किल काम होता है. ऐसे में कम्प्यूटर सिम्यूलेशन (Computer Simulation) की मदद से खगोलविद कई गणनाएं कर जानकारी हासिल कर पाने में सक्षम हो सके हैं. अब सुपर कम्प्यूटर सिम्यूलेशन का उपयोग कर शोधकर्ताओं ने पता लगा है कि कैसे युवा गैलेक्सी बाद में परिपक्व गैलेकसी में विकसित हो जाती हैं.
स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सिम्यूलेशन (Computer Simulation) की मदद से 13.8 अरब साल में तमाम तरह की गैलेक्सी (Galaxies) विकास की पड़ताल करने में सफलता पाई है. यह अध्ययन दर्शाता है कि कैसे, तारों के टकारव के कारण युवा और और बेतरतीब गैलेक्सी मिल्की वे जैसे सर्पिल गैलेक्सी में परिपक्व हो जाती हैं. ब्रह्माण्ड (Universe) की शुरुआत में, बिग बैंग केबाद, गैलेक्सी आपस में टकराती रहीं और गैस के बदलों के अंदर बहुत तेजी से तारों का निर्माण हुआ. लेकिन कुछ अरब सालों की अराजकता के बाद कुछ भ्रूण गैलेक्सी ज्यादा स्थिर होती गईं और समय के साथ व्यवस्थित सर्पिल गैलेक्सी में विकसित होती गईं.
इन गैलेक्सी (Galaxies) का विकास के बारे में हमारे खगोलविदों को ज्यादा जानकारी नहीं थी. लेकिन मंथली नोटेसिस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में प्रकाशित इस नए अध्ययन में शोधकर्ता इस मामले में स्पष्ट जानकारी जुटाने में सफल रहे. लुंड यूनिवर्सिटी के खगोलविद शोधकर्ता ऑस्कर एजर्ट्ज ने बताया कि उनकी टीम ने सुपरकम्प्यूटर की मदद से उच्चेविभेदन सिम्यूलेशन (Computer Simulation) बनाया जो बिगबैंग के समय से विभिन्न गैलेक्सी के विकास की तस्वीर पेश कर सका, जिससे यह भी पता चला कि कैसे युवा अराजक गैलेक्सी व्यवस्थित सर्पिल गैलेक्सी (Spiral Galaxies) में बदल सकीं.
एजेस्ट्स और फ्रलोरेंट रेनॉड की अगुआई में हुए इस अध्ययन में खगोलविदों ने मिल्की वे (Milky Way) गैलेक्सी के तारों का शुरुआती बिंदु के तौर पर उपयोग किया. तारे (Stars) टाइम कैप्सूल की तरह काम में आते हैं जिनमें अपने निर्माण के समय के पर्यावरण सहित सुदूर युगों की रहस्य छिपे रहते हैं. शोधकर्ताओं ने तारों की स्थिति, गति, विभिन्न रसायनों की मात्रा का पता लगाया जिससे वे सिम्यूलेशन (Computer Simulation) के जरिए यह समझ सके कि खुद हमारी गैलेक्सी कैसे बनी थी.
रेनॉड ने बताया, "हमने खोजा है कि जब दो गैलेक्सी (Galaxies) टकराती हैं, तो बड़ी मात्रा में तारों को बनाने वाली गैस के आने के कारण पुरानी गैलेक्सी के पास एक नई डिस्क बन जाती है. हमारे सिम्यूलेशन (Computer Simulation) बताते हैं कि पुरानी और नई डिस्क का धीरे धीरे अरबों साल के समय के साथ विलय होने लगता है. इससे ना केवल स्थिर सर्पिल गैलेक्सी (Spiral Galaxies) बनी, बल्कि तारों की तादात भी आज की संख्या की तुलना के बराबर हो गई.
यह नई पड़ताल खगोलविदों को मिल्की वे (Milky Way) गैलेक्सी के वर्तमान और भविष्य के नक्शे बनाने में मददगार होगी. यह शोध उन अध्ययनों को दिशा देगा जिसमें विशाल गैलेक्सी (Galaxies) के टकराव और सर्पिल गैलेक्सी की डिस्क के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. लुंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पहले ही इस विषय पर सिम्यूलेशन (Computer Simulation) आधारित अध्ययन शुरू कर दिया है.
एजर्ट्ज का कहना है कि वर्तमान अध्ययन और नए कम्प्यूटर सिम्यूलेशन (Computer Simulation) से वे बहुत सी जानकारी निकाल सकते हैं जिसका मतलब है कि मिल्की वे (Milky Way) को बेहतर समझने में आसानी हो सकेगी और ब्रह्माण्ड (Universe) की शुरुआत के समय से ही उसके रोचक जीवन के बारे में और ज्यादा खुलासे हो सकेंगे. इसके अलावा उन्नत किस्म के टेलीस्कोप से भी इन जानकारियों की पुष्टि करने में मदद मिल सकेगी.
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