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युद्ध के बीच निशाना बन रहे आम नागरिक, कीव-खारकीव पर कब्जे की छिड़ी लड़ाई

Nilmani Pal
8 March 2022 2:03 AM GMT
युद्ध के बीच निशाना बन रहे आम नागरिक, कीव-खारकीव पर कब्जे की छिड़ी लड़ाई
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रॉयटर्स 

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने हाल में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) देशों को खुली धमकी देते हुए कहा था कि अगर यूक्रेन को हथियार दिए तो फिर अच्छा नहीं होगा. मतलब अगर नाटो के किसी भी सदस्य देश ने यूक्रेन में नो फ्लाई जोन घोषित किया तो फिर रूस उसे दुश्मन मानेगा. लेकिन रूस के खिलाफ सीधे जंग में उतरने से मना कर चुका अमेरिका नाटो देशों के जरिए रूस के खिलाफ हथियार पहुंचाने में लग गया है. इसका मतलब क्या रूस और यूक्रेन की जंग में अमेरिका और नाटो आग में घी डालने का काम कर रहे हैं? दरअसल, इस सवाल की वजह यूक्रेन को लेकर नाटो देशों का ताजा रुख है जो रूस और यूक्रेन की जंग की आग को और भड़का सकता है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि नाटो सदस्य यूक्रेन में अपने लड़ाकू विमान भेज सकते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका इसमें NATO देशों की सहायता करेगा.

अमेरिका की तरफ से ये बयान उस वक्त आया है जब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की लगातार नाटो की खिंचाई कर रहे हैं. यूक्रेन में नाटो का 'नो फ्लाई जोन' न बनाए जाने पर खुलकर नाराजगी जता रहे हैं. इसकी वजह रूस की तरफ शक्ति संतुलन का झुका होना है.

बता दें कि वायुसेना के मामले में भी रूस, यूक्रेन पर भारी है. यूक्रेन के पास सिर्फ 76 लड़ाकू विमान हैं., तो वहीं रूस की सेना 1500 फाइटर प्लेन से लैस है. अटैक हेलिकॉप्टर के मामले में भी यूक्रेन रूस से पीछे है. क्योंकि संकटग्रस्त देश के पास रूस के 538 लड़ाकू विमानों के मुकाबले महज 34 अटैक हेलिकॉप्टर हैं.

पुतिन की धमकी से जेलेंस्की की मांग नहीं हो रही पूरी

उधर, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहते हैं कि लीबिया और सर्बिया की तरह नाटो देश यूक्रेन में भी 'नो फ्लाई जोन' बनाएं, जिससे रूस पर दबाव बनाया जा सके. वहीं, पुतिन की धमकी की वजह से नाटो देश यूक्रेन की इस मांग को पूरा नहीं कर रहे, लेकिन अब उन्होंने एक ऐसा कदम उठाने का फैसला किया है जो उतना ही ज्यादा खतरनाक है.

पोलैंड कैसे करेगा यूक्रेन की मदद?

दरअसल, पोलैंड ने ऐलान किया है कि वो यूक्रेन को अपने मिग 21 लड़ाकू विमान देने के लिए तैयार है. अमेरिका ने भी पोलैंड के इस फैसले को हरी झंडी दिखा दी है. लेकिन सवाल ये है कि यूक्रेन को पोलैंड ये सहायता कैसे देगा? क्या यूक्रेन के पायलट पौलेंड से इन लड़ाकू विमानों को उड़ाकर ले जाएंगे या फिर पोलैंड के पायलट अपने मिग 21 फाइटर प्लेन लेकर यूक्रेन जाएंगे? इस सवाल का हर जवाब नाटो और रूस में संघर्ष की आशंका को बढ़ाएगा.

नोटो देशों को पुतिन की धमकी

सामरिक जानकारों का साफ मानना है कि नाटो की ये कोशिश युद्ध के खतरों को विस्तार दे सकती है, क्योंकि पुतिन ने शनिवार को ही दो टूक ये ऐलान किया है कि यूक्रेन को हथियार देना भी जंग में शामिल होने के बराबर है. पुतिन इससे पहले भी कई बार कह चुके हैं कि नाटो देश यूक्रेन की मदद के जरिये रूस को खत्म करना चाहता है, जिससे बचने के लिए ही उन्होंने यूक्रेन पर हमला बोला और अपने परमाणु हथियारों को अलर्ट मोड पर रखने का ऐलान किया. अमेरिका और यूरोपीय संघ को पुतिन पहले ही चेता चुके हैं कि अगर उन्होंने युद्ध में दखल दिया तो अंजाम घातक होगा. लेकिन पुतिन की तरफ से इतनी कड़ी चेतावनी के बावजूद अमेरिका और नाटो देश लगातार यूक्रेन को मदद पहुंचा रहे हैं.

यूक्रेन की ये देश कर रहे सैन्य मदद

- रूसी हवाई हमलों का मुकाबला करने के लिए नीदरलैंड्स, यूक्रेन को रॉकेट लॉन्चर दे रहा है. एस्टोनिया एंटी टैंक मिसाइल जैवलिन भेज रहे हैं. पौलेंड और लातविया सतह से हवा में मार कर सकने वाली मिसाइल की आपूर्ति कर रहे हैं. चेक भी पीछे नहीं है. वह भी मशीन गन, स्नाइपर राइफल, पिस्तौल और अन्य हथियार भेज रहा है. यहां तक कि औपचारिक रूप से तटस्थ स्वीडन और फिनलैंड भी हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं. लंबे समय से युद्धग्रस्त क्षेत्र में हथियार भेजने से परहेज करने वाला जर्मनी भी स्टिंगर्स जैसे राकेट लांचर रूस के खिलाफ यूक्रेन को दे रहा है.

- इस तरह यूक्रेन की रूस के खिलाफ जंग में 20 देश हथियारों से मदद कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर नाटो यानी उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन और यूरोपीय यूनियन के सदस्य हैं. लेकिन बात बिगड़ने की यही आशंका नहीं है. क्योंकि नाटो देश सैन्य साजो सामान के साथ-साथ 22 हजार से ज्यादा सैनिकों को रूस और बेलारूस के सीमावर्ती सदस्य देशों में उतार चुका है.

- रूस की किलेबंदी को पुख्ता करने के लिए स्पेन की तरफ से 370 एंटी टैंक ग्रेनेड लॉन्चर, हल्की मशीन गन और 7 लाख राउंड राइफल और मशीन गन की गोलियों की खेप को यूक्रेन की सीमा से सटे पोलैंड में उतारा गया है. रूस के खतरे को देखते हुए, यूरोपीय यूनियन के देश डरे हुए हैं. उन्हें लग रहा है रूस को अगर यूक्रेन में नहीं रोका गया तो उसका हौसला बढ़ेगा और वो उसके दोस्तों को भी सताएगा, इसीलिए ये सारे देश एकजुटता दिखाने के लिए यूक्रेन की मदद कर रहे हैं. लेकिन इस तरह की कोशिश यूरोप में यूक्रेन से भी बड़े युद्ध के खतरे को तैयार कर रही है.

- रूस की तरह से प्रतिकूल देशों की लिस्ट जारी की है, जिसमें अमेरिका, यूरोपियन यूनियन के सदस्य, ब्रिटेन और जापान को रखा गया है. अमेरिका और ब्रिटेन से रूस की दुश्मनी पुरानी है. लेकिन यूरोपियन यूनियन के ज्यादातर देशों को अपने लिए प्रतिकूल देश बताना बहुत अहम है, क्योंकि जर्मनी से पुतिन के रिश्ते बेहतर थे लेकिन यूक्रेन विवाद के बाद उसमें भी खटास आती दिख रही है, जिसने जानकारों की चिंता बढ़ा दी है.

- रक्षा अनुसंधान संस्थान रायल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के उप निदेशक मैल्कम चार्म्स कहते हैं कि रूस को सबक सिखाने के लिए यूक्रेन का समर्थन करना अच्छा है, लेकिन पुतिन की प्रतिक्रिया भी उम्मीद से परे होगी. पुतिन कब क्या करेंगे? वो सिर्फ वही बता सकते हैं. यूक्रेन पर हमला करके उन्होंने बता दिया कि वो रूस की सुरक्षा के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं. ऐसे में पुतिन को उकसाने वाली कोई भी हरकत दुनिया को भारी मुश्किल डाल सकती है.


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