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चीन में कोरोना का तांडव लगातार जारी है। यहां की करीब 80 प्रतिशत आबादी संक्रमण की चपेट में आ चुकी है और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। चीन ने भले ही दिसंबर से अब तक कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या 60 हजार बताई हो, लेकिन हकीकत यह है कि यहां गली-कूचों और अस्पतालों में लाशों की भरमार है।एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में लाश दफनाने के लिए ताबूत तक कम पड़ गए हैं और मांग ज्यादा होने की वजह से उनके दाम भी बढ़ गए हैं।
आलम यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हर दिन किसी न किसी की मौत हो रही है, जिससे श्मशानों के बाहर लंबी लाइन है।चीन के प्रमुख महामारी विज्ञानी वू ज़ुन्यो के अनुसार, दिसंबर में चीन द्वारा प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से लगभग एक अरब से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जो कुल आबादी का 80 प्रतिशत है। वहीं, पिछले सप्ताह के अंत में चीन ने एक सप्ताह से भी कम समय में 13,000 कोरोना मौतों को दर्ज किया, लेकिन ये मौतें अस्पतालों में हुई हैं।
चीन के ग्रामीण क्षेत्रों की हालत इससे बहुत बुरी है।मीडिया रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि चीन ने जिन मौत के आंकड़ों को साझा किया है, वह सिर्फ शहरी इलाकों के हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण कोरोना से होने वाली मौतों की कोई गिनती ही नहीं की गई है। कई रिपोर्ट्स में ग्रामीण क्षेत्रों में मौतों की संख्या में बढ़ोत्तरी की बात कही गई है।चीन के शांक्सी प्रांत के ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से चार गुना मौतें बढ़ गई हैं।
श्मशानों पर अंतिम संस्कार के लिए लंबी कतार है। ऐसे में ताबूत बनाने वालों और अंतिम संस्कार उद्योग से जुड़े लोगों का काम भी बढ़ गया है। बढ़ी हुई मांग का असर दामों पर हुआ है। एक स्थानीय निवासी का कहना है कि कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या के कारण अंतिम संस्कार की व्यवस्था की लागत आसमान छू गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते एक महीने से यहां लगातार मौतें हो रही हैं।
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Rani Sahu
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