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पृथ्वी पर तत्वों के बिखराव पर नियंत्रण के लिए कई तरह के तत्व चक्रीय प्रक्रियाएं चलती हैं
पृथ्वी पर तत्वों के बिखराव पर नियंत्रण के लिए कई तरह के तत्व चक्रीय प्रक्रियाएं चलती हैं. इनमें कार्बन चक्र (Carbon Cycle) का महत्व आजकल बहुत बढ़ गया है. कार्बन पृथ्वी की कई जगहों और प्रक्रियाओं में हजारों सालों तक भंडार के रूप में पड़ा रहता है. लेकिन जीवाश्म ईंधन के उपयोग जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण यह कार्बन वायुमंडल में भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में पहुंच जाता है जिससे पूरी पृथ्वी का तापमान बढ़ने के साथ अन्य हानिकारक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं. एक अध्ययन में पता चला है कि अपना तल बदलते रहने वाली नदियां (Rivers) सीधी बहने वाली नदियों की तुलना में बेहतर कार्बन भंडार (Carbon Sink) होती हैं.
नदियां (Rivers) कार्बन भंडारण (Carbon Sink) के लिहाज से बहुत अहम मानी जाती हैं. इनमें कणों को बहाने और बिखराने की अद्भुद क्षमता होती है. एंडीज पर्वत पर मौजूद एक रेत के कण को अर्जेंटीना के रियो पराना (Rio Parana) के निचले इलाके में धुलकर पहुंचने के लिए 8500 साल लगते हैं. रियो बर्मेजो (Rio Bermejo) नदी की इस 1200 किलोमीटर की यात्रा में नदी के बाढ़के मौदानों की कई रुकावटें हैं, जहां ये कण फैल जाते हैं. कई बार ये वहां हजारों सालों तक के लिए अटक जाते हैं. इसके बाद फिर से बारिश में धुल कर नदी में पहुंच जाते हैं
नदियों (Rivers) में बहने वाली रेत केसाथ जैविक कार्बन (organic carbon) भी होता है जो पौधों और मिट्टी से धुल कर उसके साथ आ जाता है. पानी की इस परिवहन का जलवायु (Climate) के लिहाज से बहुत महत्व हो जाता है. नदियां कार्बन को साथ लेकर बहती हैं जो पहले वायुमंडल से प्रकाश संश्लेषण के जरिए हटा लिया गया था. वह नदियों से अवसाद के रूप में सागरों में पहुंचता है जहां वह हजारों साल तक जलवायु को बिना नुकसान पहुंचाए जमा रहता है. इसके बाद महासागरीय जैविक प्रक्रियाओं द्वारा यह कार्बन डाइऑक्साइड में बदलकर हवा में पहुंच जाता है. इस तरह नदिया कार्बन चक्र (Carb9n Cycle) का बहुत खास हिस्सा होती हैं.
जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियो सांसेस (GFZ) के शोधकर्ताओं ने पहली बार इन प्रक्रियाओं का मापन किया है और उन्होंने नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित किया है. उनके काम का सबसे अहम नतीजा यह रहा कि नदियों (Rivers) के बिना दखल वाली मोड़ वाले हिस्सों में ही सबसे ज्यादा कार्बन निक्षेपण या पुनर्अवशोषण होता है और इसके बाद ये सीधे सागर (Seas) में जाते हैं. वहीं सीधी नदियों (Straight Rivers) के हिस्सों में, जहां स्थायी किनारे होते हैं, केवल प्रसुप्त कण ही आगे जाते हैं जबकि ऐसी नदियों के बाढ़ के मैदानों का कार्बन धीरे धीरे सूक्षमजीवों द्वारा वापस कार्बन डाइऑक्साइड बन जाता है.
GFZ कार्य समूह की अगुआई करने वाले डिर्कसैशे का कहना है कि रियो बेर्मेजो (Rio Bermejo) इस अध्ययन के लिए आदर्श प्राकृतिक नदी (River) थी क्योंकि इसकी कोई बड़ी सहायक नदी नहीं है. सैशे लैंडस्कोप ऑफ फ्यूचर शीर्षक वाले हेल्महोल्ट्ज कार्यक्रम "चेंजिंग अर्थ- सस्टेनिंग अवर फ्यूचर" के निदेशक हैं. उनका कहना है कि इसका मतलब यह है कि नदी के प्राकृतिक बहाव (Natural Coruse), जिनके पास बाढ़ के मैदानों में अपरदन करने की जगह होती हैं, में वायुमंडल से कार्बन हटाने की सीधे नदी वाले हिस्सों की तुलना में ज्यादा क्षमता होती है.
इस लिहाज से मानवों का नदियों (Rivers) को सीधा करना वायुमंडल (Atmosphere) में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को बढ़ाने में योगदान दे सकता है. इसमें दिलचस्प बात यह है कि नदियों को और ज्यादा जगह देकर या फिर उनके प्राकृतिक मोड़ों में बाधा ना डालकर हमें जलवायु (Climate) की मदद कर सकते हैं. इस अध्ययन की पहली लेखक और GFZ की मारसिया रेपैश ने नदियों और उनके बाढ़ के मैदानों का कई तरह के उपकरणों के साथ अध्ययन किया जिनमें से एक कॉस्मोजेनिक बेरीलियम-10 की मात्रा का विश्लेषण था जिससे पता चला अवसाद की यात्रा का समय पता चल सका.
अस्थिर कार्बन आइसोटोप 14C की डेटिंग के आधार पर शोधकर्ता ये निष्कर्ष निकला सके कि किसी जैविक उत्तपत्ति वालेकणओं की उम्र क्या है. अर्जेंटीना में काम करने के दौरान नदी (River) के कई हिस्सों से नमूने लिए गए. रैपैश ने बताया कि प्राकृतिक रूप से नदियों के मोड़ (Meander) बाढ़ के मैदानों के पदार्थों का अपरदन करते हैं और समुद्र तक बहा ले जाते हैं. जहां वे लंबे समय तक रहते हैं. वहीं कृत्रिम रूप से स्थायी नदियों के बहाव कम प्रभावी कार्बन भंडार (Carbon Sink) हैं.
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