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इतिहास की सबसे बड़ी गलती पर सिटीबैंक को गंवाने पड़े 3650 करोड़ रुपये

Neha Dani
18 Feb 2021 5:12 AM GMT
इतिहास की सबसे बड़ी गलती पर सिटीबैंक को गंवाने पड़े 3650 करोड़ रुपये
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अमेरिका की एक अदालत ने अजब मामले में गजब फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंक अब शेष रकम वसूल नहीं सकता है।

बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी गलतियों में शुमार एक मामले में अमेरिका के सिटी बैंक को 3650 करोड़ रुपये (करीब 50 करोड़ डॉलर) गंवाने पड़ गए। अमेरिका की एक अदालत ने अजब मामले में गजब फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंक अब शेष रकम वसूल नहीं सकता है।

दरअसल, कास्मेटिक कंपनी रेवलॉन के ऋणदाताओं को सिटी बैंक को 58 करोड़ रुपये बतौर ब्याज देने थे, लेकिन गलती से बैंक की ओर से ऋणदाताओं के खाते में दस गुना से अधिक 6554 करोड़ रुपये (करीब 900 डॉलर) डाल दिए गए। यह लेनदेन पिछले साल अगस्त में हुआ था।
कुछ कर्जदाताओं ने तो बैंक के पैसे लौटा दिए, लेकिन जब दस ऋणदाताओं से 3650 करोड़ रुपये (करीब 50 करोड़ डॉलर) वापस नहीं आए तो अमेरिकी बैंक ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जहां से उसे निराशा ही हाथ लगी। सिटीबैंक रेवलॉन और उसके कर्जदाताओं के बीच एजेंट की भूमिका अदा कर रहा था।
कॉरपोरेट क्लाइंट से जुड़ा अनोखा मामला
अमेरिकी जिला जज ने कहा, कॉरपोरेट क्लाइंट से जुड़ा यह अनोखा मामला है। कानून अक्सर उन लोगों को सजा देता है, जो अपने खातों में जमा रकम को गलत तरीके से खर्च करते हैं। जज ने कहा, डिजिटल दौर में इस तरह गलती से हुआ लेनदेन आम बात है और इस भूल को तुरंत सुधारा जा सकता है। पेन्सिलवेनिया में एक जोड़े को गलती से खाते में आए पैसे खर्च करने पर सजा भी हुई थी।
न्यूयॉर्क में अलग है नियम
न्यूयॉर्क में इस तरह के मामले के लिए अलग कानून है, 'डिस्चार्ज फॉर वैल्यू डिफेंस'। इसके तहत अगर लाभार्थी किसी रकम का लेनदार है और बैंक की ओर से भले ही गलती से उसे वह रकम दे दी गई हो तो वह उसे रख सकता है। इस मामले में कर्जदाताओं ने कहा कि उन्हें लगा कि बैंक ने उनके कर्ज की अदायगी करनी शुरू कर दी है। इसलिए लेनदेन को गलती नहीं मान सकते।
सिटी बैंक को एक दिन की देरी पड़ी भारी
जज ने कहा, सिटीबैंक से अगर यह लेनदेन गलती से हुआ तो बैंक ने तुरंत इसके लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया। जबकि पूरे एक दिन बाद बैंक ने इस मामले में कार्यवाही प्रक्रिया शुरू की और नोटिस जारी करना शुरू किया। वहीं बैंक के कुछ कर्मचारियों के बीच मोबाइल पर हुई बातचीत को आधार बनाकर जज ने कहा कि इसे देख कर लगता है कि यह चूक इरादतन थी। गलती की जानकारी पर कर्मचारी एक दूसरे का मजाक बनाते रहे लेकिन बैंक ने कोई कदम नहीं उठाया।
2012-13 में भारतीय बैंक से भी हुई थी ऐसी गलत पर तुरंत रद्द हो गया था लेनदेन
भारत के एक शीर्ष सरकारी बैंक से भी इस तरह की गलती हुई थी, जिसमें बैंक ने गलती से कई खातों में ब्याज का भुगतान कर दिया था। लेकिन इस मामले में तुरंत मानक संचालन प्रक्रिया शुरू की गई और लेनदेन को रद्द कर दिया गया था। पूरी रकम बैंक के पास वापस आ गई थी और कोई नुकसान नहीं हुआ था।


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