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सीआईए के प्रमुख बिल बर्न्स ने कहा- कर्ज जाल में फंसाने की चीनी कूटनीति का शिकार बना श्रीलंका, सबक लें दूसरे देश

Renuka Sahu
21 July 2022 5:30 AM GMT
CIA chief Bill Burns said – Sri Lanka has become a victim of Chinese diplomacy to entangle in debt trap, take lessons from other countries
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फाइल फोटो 

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख बिल बर्न्स ने श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक दुर्दशा के लिए कर्ज जाल में फंसाने की चीनी कूटनीति को जिम्मेदार ठहराया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के प्रमुख बिल बर्न्स ने श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक दुर्दशा के लिए कर्ज जाल में फंसाने की चीनी कूटनीति को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि श्रीलंका चीन के दांव को समझ नहीं सका और मूर्खतापूर्वक उसके जाल में फंस गया। दूसरे देशों को इससे सबक लेना चाहिए।

वॉशिंगटन स्थित एस्पेन सिक्योरिटी फोरम को संबोधित करते हुए सीआईए प्रमुख बर्न्स ने कहा कि श्रीलंका की इस गलती को अन्य देशों को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। एस्पेन सिक्योरिटी फोरम, एस्पेन इंस्टीट्यूट आफ ह्यूमेनेटिक स्टडीज की बनाई गई गई अंतरराष्ट्रीय संस्था है। यह विश्वभर में समतामूलक समाज की स्थापना के लिए काम करती है।
सीआईए के प्रमुख ने कहा कि श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के साथ चर्चा कर अभूतपूर्व आर्थिक संकट का बेहतर हल निकालने में विफल रहा और चीन के जाल में फंस गया। बर्न्स ने बुधवार को आरोप लगाया कि श्रीलंका की आर्थिक तबाही का बड़ा कारण चीन का कर्ज के रूप में बड़ा निवेश है।
चीनी कंपनियां देती हैं आकर्षक प्रस्ताव
बर्न्स ने कहा कि चीनी कंपनियां दूसरे देशों में बड़ा निवेश कर सकती हैं, इसके लिए वे आकर्षक प्रस्ताव रखती हैं। आज श्रीलंका जैसे देशों की हालत को देखना चाहिए। वह चीन के भारी कर्ज के दबाव में है। उसने अपने आर्थिक भविष्य के बारे में मूर्खतापूर्ण दांव लगाए और नतीजतन आर्थिक और राजनीतिक दोनों तरह से बहुत विनाशकारी हालात का सामना कर रहा है।
आंखें खुली रखकर करें करार
सीआईए के प्रमुख ने अपने भाषण में दुनियाभर के देशों को चेताया कि वे चीन से किसी भी करार से पहले अपनी आंखें खुली रखें। बर्न्स ने कहा कि न केवल मध्य पूर्व या दक्षिण एशिया में बल्कि दुनिया भर में कई अन्य देशों के लिए श्रीलंका एक सबक होना चाहिए।
क्या किया था चीन ने श्रीलंका में
चीन ने नकदी की कमी से जूझ रहे श्रीलंका में भारी पैमाने पर निवेश किया। उसने पूर्व राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के साथ मिलकर श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया। उसने हंबनटोटा बंदरगाह के विकास के लिए श्रीलंका को बड़ा कर्ज दिया। इसके बाद 2017 में श्रीलंका 1.4 अरब डॉलर का चीनी कर्ज चुकाने में विफल हो गया। इसके बाद यह बंदरगाह 99 साल के लिए एक चीनी कंपनी को लीज पर पर देने के लिए मजबूर किया गया। इसके लिए चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीईसी) और चीन हाइड्रो कॉर्पोरेशन ने संयुक्त उद्यम किया।
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