विश्व

दुश्‍मन का सामना करने के लिए चीनी शब्द, मजबूर करने की रणनीति पर चल रहा चीन

Rounak Dey
6 Oct 2022 3:58 AM GMT
दुश्‍मन का सामना करने के लिए चीनी शब्द, मजबूर करने की रणनीति पर चल रहा चीन
x
ताइवान के साथ जारी टकराव पर भी उसका यही रुख देखने को मिल रहा है।

बीजिंग: यूक्रेन के साथ जारी जंग में क्‍या रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन अमेरिका के रास्‍ते पर चलकर परमाणु हमले का आदेश देंगे या नहीं, कोई नहीं जानता है। विशेषज्ञों की मानें तो पुतिन इस समय उस किताब में लिखी बातों को फॉलो कर रहे हैं जिसे अंतरराष्‍ट्रीय रिश्‍तों का साहित्‍य (IR) कहा जाता है। इसी लिट्रेचर में परमाणु सिग्‍नलिंग का जिक्र है जिसे संकट का सिग्‍नल भी कहा जाता है। वहीं उनका दोस्‍त चीन परंपरा या किसी किताब में लिखी बातों को मानने में यकीन नहीं करता है। चीन किस तरह से अपने दुश्‍मन को उलझाकर रखता है, पूर्वी लद्दाख इसका उदाहरण है। विशेषज्ञों की मानें तो चीन ने पिछले दो साल भारत के साथ जारी टकराव में यह बात साबित कर दी है कि वह किसी परंपरा को नहीं मानता है। बल्कि उसकी सेना पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (PLA) अपनी ही स्‍टाइल में बातों को आगे बढ़ाती है।


इस शब्‍द में चीनी नीति
दुश्‍मन का सामना करने के लिए चीनी शब्द, Wei She है जो कि अंग्रेजी शब्द से पूरा अलग है। पहले शब्‍द यानी IR में प्रतिरोध करना और दुश्‍मन को अपने जाल में फंसना और वह भी बिना किसी अंतर के, सबसे बड़ी खासियत है। प्रतिरोध यानी दुश्‍मन को किसी भी तरह का खतरा पैदा करने से रोकने की रणनीति और उसे इस तरह से मजबूर कर देना कि वह अपना बर्ताव या अपनी विदेश नीति को बदल दे। चीन इन्‍हीं दोनों नीतियों पर मनौवैज्ञानिक स्‍तर पर युद्ध लड़ने का प्रयास करता है।


क्‍या करता है चीन
मिलिट्री स्‍टडीज 2020 में डीन छेंग जो कि चीनी मिलिट्री और सुरक्षा मसलों के रिसर्चर हैं, कहते हैं कि परमाणु प्रतिरोध को परमाणु सेनाओं का प्रतिनिधि माना जाता है। इसे उस खतरे के तौर पर भी देखा जाता है जो दुश्‍मन के रोजगार पर संकट पैदा कर दे और साथ ही उसे उसकी सीमा में ही रोक दे। उन्‍होंने कहा कि यह बात गौर करने वाली है कि चीन के साहित्‍य में इस बात पर खासा जोर दिया गया है कि न सिर्फ क्षमता और विश्‍वास जरूरी हैं बल्कि इन दोनों बातों को दुश्‍मन को बेहतर तरीके से बताना भी सबसे अहम है।


सरकारी मीडिया का प्रयोग
चीन ने हाल ही में अपने परमाणु हथियार टेक्‍नोलॉजी को बेहतर करने में भारी निवेश किया है जिसमें हाइपरसोनिक हथियार भी शामिल हैं। इस कदम को उसकी इसी रणनीति के तहत देखा जा रहा है। चीनी शब्‍द Wei She को बहुत ही संवेदनशील माना जाता है। यह शब्‍द मिसाइल टेस्‍ट या फिर परमाणु हथियारों की क्षमता के प्रदर्शन को बताता है।

ऐसे में चीन की मिसाइल सेना संभावित युद्ध या आक्रामकता को रोकने के लिए प्रदर्शन के तौर पर टेस्‍ट करती है और इसी समय वह दुश्‍मन को उसका बर्ताव बदलने के लिए मजबूर कर देता है। चीन ने प्रतिरोध को बताने के तरीकों को बढ़ा दिया है। जैसे-जैसे न्‍यू मीडिया प्‍लेटफॉर्म जैसे वीचैट और वाइबो आए हैं, उसका तरीका भी बदल गया है। चीन ने पहले भी आधिकारिक मीडिया का प्रयोग किया है जिसमें पीपुल्‍स डेली, पीएलए डेली और चाइना डेली को उसने इसका हिस्‍सा बनाया है।


लद्दाख के बाद ताइवान
विशेषज्ञों को याद है कि जुलाई 2016 में अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट की तरफ से आए फैसले के बाद दक्षिण चीन सागर पर चीन का दावा कानूनी तौर पर खत्‍म हो गया था। उसके बाद चीनी वायुसेना ने H-6K बॉम्‍बर्स को स्‍कारबोर्ग शोआल के ऊपर दौड़ा दिया था। उस समय चीन का फिलीपींस से दक्षिण चीन सागर पर विवाद चल रहा था और जब यह सब हुआ तो इसे चीन के सोशल मीडिया साइट्स पर टेलीकास्‍ट किया गया था। पीएलए ने इसी रणनीति को साल 2017 में डोकलाम टकराव के दौरान अपनाया था। माना जा रहा है कि चीन इसी नीति को पूर्वी लद्दाख में अपना रहा है तो ताइवान के साथ जारी टकराव पर भी उसका यही रुख देखने को मिल रहा है।

Next Story