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चीन (China) के खुफिया अधिकारियों ने ब्रिटेन (Britain) के दिवंगत प्रिंस फिलिप (Prince Philip) द्वारा स्थापित की गई एक चैरिटी में घुसपैठ की है
चीन (China) के खुफिया अधिकारियों ने ब्रिटेन (Britain) के दिवंगत प्रिंस फिलिप (Prince Philip) द्वारा स्थापित की गई एक चैरिटी में घुसपैठ की है. चीनी जासूसों ने फेथइन्वेस्ट नामक एनजीओ के जरिए अपना प्रभाव चैरिटी में बनाया. एजेंटों ने चैरिटी के साथ मिलकर विंडसर कैसल (Windsor Castle) में ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग से मुलाकात की. ड्यूक ने बकिंघम पैलेस (Buckingham Palace) में चैरिटी के सह-संस्थापक मार्टिन पामर से भी मुलाकात की. ये खुलासा ऐसे वक्त में हुआ है, जब ब्रिटिश खुफिया एजेंसी ने ब्रिटेन की संसद में चीनी जासूस के गिरोह के मौजूद होने का पर्दाफाश किया था.
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया सूत्रों ने अब खुलासा किया है कि MI5 द्वारा जासूसी के आरोपी बीजिंग विभाग के लिए काम करने वाले कम्युनिस्ट एजेंट थे. इन चीनी एजेंटों ने 2017 में बकिंघम पैलेस का दौरा भी किया था. वे कई मौकों पर एक दूसरे चैरिटी एलायंस ऑफ रिलिजन एंड कंजर्वेशन (ARC) के जरिए प्रिंस फिलिप से मिले. इस चैरिटी को भी मार्टिन पामर ने स्थापित किया था. एजेंट चीन ताओवादी एसोसिएशन (China Taoist Association) के जरिए काम कर रहे थे. ये संगठन फेथइन्वेस्ट के साथ शामिल हुआ और इसके जरिए चीनी जासूसों ने आखिरी बार 2017 में पैलेस में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा.
चीन के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट ने रची जासूसी की साजिश!
प्रिंस फिलिप ने चीनी समूह के साथ तस्वीर भी खिंचवाई थी. लेकिन ऐसा कोई जानकारी नहीं है कि प्रिंस फिलिप या पामर को ये बात मालूम था कि ये चीनी एजेंट हैं. चीनी एजेंटों के इस समूह को बीजिंग के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था. एक सूत्र ने कहा, 'यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट का इस्तेमाल उन देशों के साथ दोस्ताना संबंध बनाने के लिए किया जाता है, जिनके साथ चीन के रिश्ते ठीक नहीं है. लेकिन ये डिपार्टमेंट क्रूर खुफिया और विदेशी हस्तक्षेप गतिविधियों में भी शामिल है.' MI5 ने इस महीने बताया था कि क्रिसटिन ली नामक चीनी जासूस ब्रिटिश संसद में जासूसी कर रही थी.
मार्टिन पामर ने इस पूरे मामले पर क्या कहा?
क्रिसटिन ली चीनी जासूसों के इसी नेटवर्क का हिस्सा थी और ये लगातार चीन को सूचनाएं भेज रही थी. वहीं, जब मार्टिन पामर से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने 1990 के दशक की शुरुआत से ARC के माध्यम से पर्यावरण के मुद्दों पर चीन में ताओवादी, बौद्ध और ईसाई समूहों के साथ काम किया है.' उन्होंने कहा, चीन में सभी धार्मिक संस्थान आधिकारिक तौर पर एक सरकारी मंत्रालय के अधीन आ गए हैं क्योंकि चीनी सरकार जानती है कि धर्म सामाजिक एकता और जुड़ाव के लिए काम करते हैं. लेकिन ये विरोध और असंतोष के स्रोत भी हो सकते हैं.
उन्होंने कहा, 'ज्यादातर समय ARC ने चीनी धार्मिक समूहों के साथ काम किया. इसके लिए बकायदा एक मंत्रालय था. लेकिन इस मंत्रालय के बंद होने के बाद सभी धार्मिक संस्थानों को यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट में समाहित कर दिया गया.' पामर ने कहा, 'चीन ताओवादी एसोसिएशन ने चीन और दुनियाभर में चीनी समुदायों के भीतर विश्वासों और पारिस्थितिकी पर चर्चा में एक प्रमुख भूमिका निभाई है. यही वजह है कि ARC की स्थापना करने वाले प्रिंस फिलिप ने कई मौकों पर ताओवादियों से मुलाकात की.'
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