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लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के ताबूत में आखिरी कील
चीन (China) की अब हांगकांग (Hong Kong) पर पकड़ और मजबूत हो गई है. दरअसल, चीन की संसद (China's Parliament) ने गुरुवार को हांगकांग की चुनाव प्रणाली (Election System) में बदलाव के लिए वोटिंग की. ये वोटिंग चुनावी प्रणाली को बदलने के लिए लाए गए एक नए कानून को लेकर हुई. चीनी सरकार ने अमेरिका (America) के बार-बार चेतावनी देने के बाद भी हांगकांग को लेकर कानून पेश किया. इसके जरिए अब चीन जब चाहे तब किसी भी उम्मीदवार के नामांकन को रद्द कर सकता है. साथ ही जनता द्वारा चुने गए विधान परिषद सदस्यों को अघोषित किया जा सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की इस 'नापाक चाल' के चलते अब वह हांगकांग में अपनी पसंद की सरकार को ला सकेगा. पिछले साल चीनी संसद ने हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पारित किया. इसे लेकर हांगकांग में जमकर प्रदर्शन हुए. हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया. लोकतंत्र समर्थक नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं, इस कानून के जरिए हांगकांग में लोकतंत्र के लिए आवाज बुलंद करने वाले एक हजार लोगों को सलाखों के पीछे भेजा गया है.
एक अनुपस्थित और बाकी सांसदों ने पक्ष में किया मतदान
चीन की मंशा एक देश दो व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त करने की है. वह चीन पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित करना चाहता है. गुरुवार को चीनी संसद में हुई वोटिंग के दौरान पक्ष में 2,895 वोट डाले गए वहीं एक सदस्य ने इसमें हिस्सा नहीं लिया. राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकियांग इस दौरान संसद में मौजूद रहे. यहां गौर करने वाली बात ये है कि किसी भी सांसद ने इसके खिलाफ वोटिंग करने की हिमाकत नहीं दिखाई.
लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के ताबूत में आखिरी कील
हांगकांग को लेकर लाए गए इस नए कानून की तुलना लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के ताबूत में आखिरी कील से की गई है. चीन के संसदीय प्रवक्ता वांग चेन ने कहा कि इस निर्णय के जरिए हांगकांग की सत्ता एक मजबूत देशभक्ति वाली सेना के हाथों में आएगी. हांगकांग के संबंध में जो बदलाव किए गए हैं उनमें 1,500 सदस्यीय चुनाव समिति क्षेत्र के मुख्य कार्यकारी का और 90 सदस्यीय संसद के लिए अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में सदस्यों का चुनाव चीन करेगा.
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