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हालांकि, यूआइडीएआइ ने बताया कि उसे इसकी जानकारी नहीं है।
अमेरिका की एक निजी साइबर सुरक्षा कंपनी का यह दावा भारत व चीन के तनावपूर्ण रिश्तों में और तल्खी पैदा कर सकता है। कंपनी ने बुधवार को दावा किया कि उसे ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिससे पता चलता है कि शायद राज्य प्रायोजित एक चीनी समूह द्वारा एक भारतीय मीडिया समूह व कुछ सरकारी विभागों को हैक कर लिया गया था।
मैसाचुसेट्स स्थित रिकार्डेड फ्यूचर के इनसिक्ट ग्रुप ने कहा कि हैकिंग समूह ने विन्नटी मालवेयर का उपयोग किया। इस समूह को अस्थायी तौर पर टीएजी-28 नाम दिया गया है। विन्नटी मालवेयर विशेष रूप से सरकार प्रायोजित कई चीनी गतिविधि समूहों के बीच साझा किया गया है। हालांकि, चीनी अधिकारी राज्य प्रायोजित हैकिंग के किसी भी रूप से इन्कार करते रहे हैं।
इनसिक्ट ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि साइबर हमले सीमा पर जारी तनावों से जुड़े हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2021 की शुरुआत में रिकार्ड किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में भारतीय संगठनों और कंपनियों को लक्षित करने वाले संदिग्ध राज्य प्रायोजित चीनी साइबर गतिविधियों की संख्या में 261 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फरवरी और अगस्त के बीच दो विन्नटी सर्वरों के साथ एक मीडिया कंपनी को दिए गए चार आइपी पतों की जांच की गई। निजी स्वामित्व वाली मुंबई की कंपनी के नेटवर्क से करीब 500 मेगाबाइट डाटा निकाला गया।
इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग से पांच मेगाबाइट डाटा निकाला गया। जून 2020 में भारत से सीमा विवाद के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया था।ग्रुप ने कहा कि जून और जुलाई में उसने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) में भी हैक की पहचान की। उसने कहा कि करीब 10 मेगाबाइट डाटा डाउनलोड किया गया और 30 मेगाबाइट डाटा अपलोड हुआ। हालांकि, यूआइडीएआइ ने बताया कि उसे इसकी जानकारी नहीं है।
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