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अफगानिस्तान पहुंच चीनी विदेश मंत्री वांग, कहीं अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों का आंदोलन वजह तो नहीं!

Neha Dani
25 March 2022 7:41 AM GMT
अफगानिस्तान पहुंच चीनी विदेश मंत्री वांग, कहीं अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों का आंदोलन वजह तो नहीं!
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नीति के बावजूद चीन ने अब तक तालिबान शासकों की आलोचना करने से परहेज ही किया है.

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (russia-ukraine war) के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन यूरोप के दौरे पर हैं तो चीन का फोकस भारतीय उपमहाद्वीप पर है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) बगैर किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के गुरुवार रात भारत पहुंच गए, लेकिन इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि वो अफगानिस्तान के दौरे पर गए. अफगानिस्तान (Afghanistan) में अभी तालिबान का शासन है और किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है. हालांकि उनके अफगानिस्तान यात्रा के पीछे उइगर मुसलमानों (Uyghur muslims) का आंदोलन और इस्लामिक स्टेट से उनके संपर्क की खबर को माना जा रहा है.

चीन के विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार को काबुल पहुंचे. वह अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से मिलने के लिए काबुल पहुंचे थे. स्थानीय बख्तर समाचार एजेंसी ने दावा किया था कि वांग यी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तालिबान के नेताओं से मुलाकात करेंगे. राजनीतिक संबंध, आर्थिक मामले और आपसी सहयोग के मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे. उनकी यात्रा को लेकर विस्तार से जानकारी नहीं दी गई है.
तालिबान शासन में काबुल जाने वालों में वांग भी शामिल
अफगानिस्तान का अब तक दौरा करने वाले शीर्ष स्तर के चुनिंदा नेताओं में अब वांग भी शामिल हो गए हैं. चीन भले ही तालिबान को मान्यता देने से इनकार करता रहा है, लेकिन वह उससे लगातार संपर्क में है. चीन के अफगानिस्तान में खनन और आर्थिक हित बताए जाते हैं. तालिबान और चीनी अधिकारियों के बीच बातचीत से अवगत अफगान सूत्रों के मुताबिक चीन तालिबान शासकों से यह आश्वासन चाहता है कि वह चीन के उइगर विद्रोहियों को अपने यहां से अभियान चलाने की अनुमति नहीं देंगे.
इस तरह की खबरें हैं कि उइगर मुसलमानों के 'पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन' के सदस्य, जो उत्तर पश्चिम चीन में स्वतंत्र देश की मांग कर रहे हैं, अफगानिस्तान में मौजूद हैं. इसके अलावा उइगर विद्रोही खोराजान प्रांत में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध संगठन से लगातार संपर्क में हैं.
उइगरों के खिलाफ बीजिंग की कार्रवाई पर चुप्पी
इससे पहले चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगरों के खिलाफ बीजिंग की कठोर कार्रवाई को लेकर लगातार खबरों के बावजूद इस हफ्ते पड़ोसी देश पाकिस्तान में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक में चीनी विदेश मंत्री वांग का विशेष अतिथि के रूप में स्वागत किया गया.
इस बैठक में विदेश मंत्री वांग ने यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए वार्ता की अपील की, लेकिन मेजबान पाकिस्तान समेत आईआईसी के किसी भी सदस्य देश ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन की ओर से की जा रही उन कठोर कार्रवाइयों को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई, जिनमें मस्जिदों का गिराया जाना और धार्मिक कार्यों में शामिल उइगर मुस्लिमों को जेल भेजना आदि शामिल है.
अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के साथ चले 20 साल के युद्ध की समाप्ति के बाद पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता अपने कब्जे में ले ली. इसके बाद से तालिबान की कोशिश अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने की है जिससे वह अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सके, क्योंकि उसके आगमन के बाद से ही लगातार गिर रही है.
चीन ने अभी तक तालिबान को मान्यता देने का कोई संकेत नहीं दिया है. स्कूल जाने और काम करने के लिहाज से महिलाओं के प्रति दमनकारी नीति के बावजूद चीन ने अब तक तालिबान शासकों की आलोचना करने से परहेज ही किया है.

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