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चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दल ने नेपाल में की है सबसे तार जोड़ने की कोशिश, जानें पूरा मामला
Kajal Dubey
13 July 2022 6:39 PM GMT
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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के विदेश संपर्क विभाग के प्रतिनिधिमंडल ने यहां नेपाल की सभी राजनीतिक ताकतों के साथ तार जोड़ने की कोशिश की है। हालांकि रविवार को यहां आए इस दल का मुख्य ध्यान कम्युनिस्ट पार्टियों से संवाद पर रहा है, लेकिन साथ ही उसने नेपाली कांग्रेस को भी भरोसे में लेने का प्रयास किया है। दल का नेतृत्व सीपीसी के विदेश संपर्क विभाग के प्रमुख लिउ जियानचाओ कर रहे हैं।
मंगलवार को लिउ ने पूर्व प्रधानमंत्री और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली से विस्तार से बातचीत की। इसके पहले उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माइओस्ट सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल से लंबी वार्ता की थी। सोमवार को वे नेपाल के प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा से मिले थे।
देउबा और विदेश मंत्री नारायण खड़का से उनकी मुलाकात के बाद सीपीसी के विदेश संपर्क विभाग ने अपने एक बयान में कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है, जब दुनिया ऐसे परिवर्तनों से गुजर रही है, जैसा पिछले एक सदी में नहीं देखा गया। दुनिया उथल-पुथल भरे बदलाव के दौर में प्रवेश कर रही है। ऐसे वक्त में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ अपनी रणनीतिक वार्ता को मजबूत करना चाहती है, ताकि एक दूसरे के केंद्रीय हितों और मुख्य चिंताओं के बारे में विचारों का आदान-प्रदान और गहरा हो सके। साथ ही एक दूसरे से सीखने की प्रक्रिया और गहरी हो सके।
नेपाल की तरफ से बताया गया कि इस वार्ता के दौरान नेपाल ने एक चीन नीति के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई। इसका मतलब ताइवान और तिब्बत विवाद पर चीनी नीति का समर्थन समझा जाता है। नेपाल ने लिउ को यह भरोसा भी दिया है कि वह अपनी जमीन का चीन विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा।
विश्लेषकों के मुताबिक लिउ की इस यात्रा से साफ हुआ है कि अब चीन नेपाल में सभी दलों को समान महत्त्व देगा। नेपाली कांग्रेस के एक नेता अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा कि संदेश यह दिया गया है कि चीन अब नेपाल में किसी एक पार्टी के खिलाफ दूसरों की गुटबंदी का समर्थन नहीं करेगा। इसके बावजूद नेपाली कांग्रेस में चिंता बनी हुई है। इसका कारण यह संकेत है कि चीन कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच एकता कराने की कोशिश कर रहा है।
नेपाल के कम्युनिस्ट हमेशा ही चीन से प्रभावित होते रहे हैं। पिछली बार जब माओइस्ट सेंटर और यूएमएल ने मिल कर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया था, तब उसके पीछे काठमांडू स्थित चीनी राजदूत हाउ यान्ची का हाथ माना गया था। लेकिन ये एकता नहीं टिकी और पार्टी फिर विभाजित हो गई।
अब समझा जाता है कि नेपाल में हाल में अमेरिका की बढ़ी दिलचस्पी के कारण चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी नीति में बदलाव लाया है। चीन में नेपाल के राजदूत रह चुके राजेश्वर आचार्य ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा कि लिउ की यात्रा इस क्षेत्र में आए भू-राजनीतिक बदलावों और पैदा ही सुरक्षा संबंधी चिंताओं से प्रेरित दिखती है। उन्होंने कहा कि चीन को संभवतः महसूस हुआ है कि अमेरिका जिस तरह से नेपाल में अपना असर बढ़ा रहा है, उससे तिब्बत की सुरक्षा के लिए नई चुनौती पैदा हो सकती है। ऐसे में ये प्रतिनिधिमंडल यह याद दिलाने आया है कि चीन नेपाल का ऐसा दोस्त है, जो हर वक्त पर काम आया है।
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