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कम्युनिस्ट राष्ट्र चीन एक तरफ जहां अपने देश के शिनजियांग और तिब्बत जैसे प्रांतों में लोगों को उनके धर्म व संस्कृति से विमुख करने के लिए सुधार गृहों में भेजकर उनकी धार्मिक पहचान मिटाने में जुटा है।
कम्युनिस्ट राष्ट्र चीन एक तरफ जहां अपने देश के शिनजियांग और तिब्बत जैसे प्रांतों में लोगों को उनके धर्म व संस्कृति से विमुख करने के लिए सुधार गृहों में भेजकर उनकी धार्मिक पहचान मिटाने में जुटा है। वहीं, चीनी अफसर श्रीलंका में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए वहां के धर्म स्थलों की शरण में पहुंचे हैं। श्रीलंका में चीनी राजदूत ची झेंगहोंग ने इसी कड़ी में जाफना स्थित हिंदू मंदिरों का दौरा किया।
चीन को पता है कि भारत के दक्षिण में बसे देश श्रीलंका और मालदीव में उसे स्थानीय धार्मिक पहचान में खुद को संलिप्त बताना जरूरी है। इसीलिए चीनी राजदूत ने जाफना में तमिल बहुल उत्तरी श्रीलंका स्थित ऐतिहासिक नल्लूर कंडास्वामी कोविल मंदिर के बाहर प्रसाद की टोकरी लेकर तस्वीर भी खिंचाई और सोशल मीडिया पर उसे वायरल कराया।
ची झेंगहोंग ने एक हिंदू श्रद्धालु की वेशभूषा में मंदिर के बाहर खड़े लोगों को फलों का प्रसाद बांटा। उन्होंने इसके बाद स्थानीय उच्च अधिकारियों से मुलाकात भी की। चीनी राजदूत की इन कोशिशों का अर्थ वहां परस्पर सहयोग बढ़ाने और स्थानीय हिंदू तमिलों की कमाई के साधन बेहतर करने का लगाया जा रहा है। चीनी अफसर जाफना और मन्नार में मछुआरों के बीच भी गए जहां उन्हें मछली पालन का सामान और फेस मास्क भी वितरित किए।
भारतीय तमिलों को संदेश
चीन ने श्रीलंका के सिंहला बहुल इलाकों में अपना अच्छा प्रभाव डाल लिया है लेकिन तमिल आबादी के साथ उसने रिश्ते बनाने की पहल नहीं की है। जबकि जाफना में तमिल हिंदुओं की आबादी बहुतायत में है। यहां के लोगों में भारत के तमिलनाडु राज्य स्थित श्रीलंकाई तमिलों का मुद्दा काफी संवेदनशील रहा है। ऐसे में चीनी अफसर यह संदेश देना चाह रहे हैं कि वे श्रीलंका के इस हिस्से के लोगों को अपना मानते हैं। बता दें, भारत भी इस क्षेत्र में लोगों की मदद करता रहा है। इसी कड़ी में चीनी राजदूत ने जाफना की प्रसिद्ध जाफना पब्लिक लाइब्रेरी को लैपटॉप व किताबें भी भेंट की हैं।
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