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नेपाल की सियासत लगातार हिचकोले खा रही है.
नेपाल की सियासत लगातार हिचकोले खा रही है. संसद के भंग होने के बाद अब नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी में आर-पार की जंग तेज हो गई है. ऐसे में जब पार्टी टूट की कगार पर खड़ी है, तो नेपाल में मौजूद चीनी एम्बेसडर होऊ यांकी फिर एक्टिव हुई हैं.
सूत्रों के मुताबिक, होऊ यांकी ने बीती रात राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की. बुधवार सुबह भी चाइनीज एम्बेसडर ने कमल प्रचंड से मुलाकात की.
चीनी एम्बेसडर की कोशिश है कि पार्टी अलग ना हो और जल्द ही संसद का सदन बुलाया जाए. ऐसे में अब चीनी एम्बेसडर की ओर से राष्ट्रपति पर दबाव बनाया जा रहा है कि अगर वो कमल प्रचंड गुट का साथ देती हैं, तो उनपर से महाभियोग का खतरा टल जाएगा.
My great pleasure to attend this online seminar hosted by China Study Center and discuss with Nepali scholars and friends on how to develop China-Nepal relations in new domestic and international situation. Very impressive thoughts!👍👍 pic.twitter.com/wcGrzHOoXa
— Ambassador Hou Yanqi (@PRCAmbNepal) December 18, 2020
बीती रात को चीनी एम्बेसडर की रामबहादुर थापा, बामदेव गौतम से मुलाकात की. दोनों ही नेताओं को प्रचंड गुट में लाने की कोशिश की जा रही है. साथ ही मधेशी दल के नेता उपेंद्र यादव, पूर्व पीएम बाबूराम भट्टाराई को भी प्रचंड गुट के साथ रहने को कहा गया है.
आपको बता दें कि चीनी एम्बेसडर इससे पहले भी नेपाल की सियासत में काफी एक्टिव थीं. फिर चाहे नेपाल-भारत के बीच हुए विवाद का वक्त हो या फिर इससे पहले प्रचंड-ओली गुट में हुई सियासी जंग को शांत कराना हो.
गौरतलब है कि बीते दिनों नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद भंग करने का फैसला लिया था, जिसके बाद नेपाल में अब फिर से चुनाव होने हैं. हालांकि, उनके इस फैसले के खिलाफ बुधवार से ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है.
इतना ही नहीं ओली और प्रचंड गुट में अब पार्टी पर कब्जे की कोशिशें तेज हो गई हैं. दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और सिंबल पर अपना हक जताने के लिए चुनाव आयोग का रुख किया है.
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