विश्व
चीन की जीरो कोविड पॉलिसी, 5.5 भी नहीं पहुंची आर्थिक विकास की दर
Rounak Dey
21 Aug 2022 7:44 AM GMT

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चीन की जीरो कोविड नीति की वजह से लोगों के मन में काम धंधे कभी भी ठप होने का डर बैठा हुआ है।
चीन भले ही सस्ते कर्ज के झांसे में फंसाकर विभिन्न छोटे देशों को काबू करने की नीति पर काम कर रहा है लेकिन, एक हकीकत ये भी है कि उसका अपना घर काफी खराब हालत में है। चीन की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के बाद से उबर नहीं पाई है। इतना ही नहीं चीन में प्रापर्टी की कीमतों में आई जबरदस्त गिरावट वहां की खराब आर्थिक हालत का संकेत दे रही है। चीन में बीते कुछ समय में महंगाई के अलावा बेरोजगारी भी बढ़ी है और प्रतिव्यक्ति आय कम हुई है। इसको देखते हुए चीन ने ब्याज दरों में कटौती की है।
चीन की जीरो कोविड पालिसी
जानकारों की राय में चीन पर न सिर्फ कोरोना महामारी का प्रतिकूल असर पड़ा है बल्कि रूस और यूक्रेन युद्ध से भी वो काफी प्रभावित हुआ है। अन्य देशों की तुलना में चीन पर इनका असर ज्यादा हुआ है। जानकारों की राय में चीन कोरोना महामारी को लेकर बनाई चीन की नीति अब उस पर उलटी साबित हो रही है। दरअसल चीन ने कोरोना से बचाव को जीरो कोविड पालिसी शुरू की हुई है। इस पालिसी की बदौलत देश में कारोबार के अलावा उपभोक्ता गतिविधियां काफी हद तक प्रभावित हुई हैं।
काम धंधे हुए ठप
जीरो कोविड नीति की वजह से कई जगहों का काम ठप होने की वजह से काफी पिछड़ गया है। इसकी बदौलत न सिर्फ काम धंधे ठप हुए हैं बल्कि कई छोटी इकाइयां बंद भी हो गई हैं। चीन की इस नीति से देश के लोग भी ऊब चुके हैं और इसकी आलोचना कर रहे हैं। इस नीति में कोरोना का कोई भी मामला सामने आने परर लाकडाउन लगाने का प्रावधान है। इस नीति की वजह से कई छोटी फैक्टरियां काफी समय तक बंद रही हैं। इसका असर लोगों की आमदनी और रोजगार पर भी पड़ा है और इसकी वजह से देश की सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इन सभी के बावजूद चीन के अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि चीन अपने को इससे उबार लेगा। वहीं इन जानकारों का ये भी कहना है कि यदि चीन मंदी से घिरा तो इसका असर पूरी दुनिया में दिखाई देगा।
आर्थिक विकास की दर 5.5 से नीचे
चीन के सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि देश की आर्थिक दशा सुधारने के उसके सभी प्रयास विफल हुए हैं। वो मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की दर के 5.5 फीसद के लक्ष्य को पाने में भी नाकाम रहा है। चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मुद्रा के प्रवाह को बढ़ाना बेहद जरूरी है। उन्होंने देश की खराब हालत को देखते हुए तत्काल कदम उठाने को कहा है।
चीन में कोरोना महामारी
चीन कीअर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले जानकार जैकब गुंटर का कहना है कि कोरोना को लेकर अन्य देशों ने जो पालिसी बनाई और इसको कंट्रोल किया वो काम चीन ने नहीं किया। चीन ने कोरोना के साथ जीना नहीं सीखा। यही वजह है कि कोरोना महामारी आज भी आर्थिक अराजकता फैलाने का बड़ा कारण बन गया है। इतना ही नहीं चीन ने कोरोना से लड़ाई में कारगर MrNA टीके का आयात नहीं किया। इसकी वजह से चीन के लोगों में दूसरे देशों के मुकाबले इम्यूनिटी कम बन सकी है। विश्व के दूसरे बड़े जानकार भी मानते हैं कि चीन में बेहतर स्वास्थ्य
रियल स्टेट की हालत खराब
इसके अलावा रियल स्टेट पर हुई कार्रवाई से भी यहां की आर्थिक स्थिति खराब हुई है। चीन का बड़ा रियल स्टेट ग्रुप एवरग्रांदे अब दिवालिया होने की कगार पर है। नया घर लेने की इच्छा रखने वालों ने कर्ज की नीतियों को दरकिनार कर दिया है। इसलिए नया घर खरीदने वालों की संख्या काफी गिर गई है। कई जानकार चीन की धीमी रफ्तार की बड़ी वजह रियल एस्टेट में आई मंदी को मान रहे हैं। देश की जीडीपी में करीब 30 फीसद का योगदान इसी रियल एस्टेट का योगदान है। चीन के केंद्रीय बैंक ने महंगाई पर काबू पाने तक ज्यादा आर्थिक छूट देने से साफ इनकार कर दिया है।
दुनिया से अलग चीन के कदम
जानकारों का ये भी कहना है कि चीन अपनी आर्थिक हालत को सुधारने के लिए दुनिया के दूसरे देशों से अलग कदम उठा रहा है। विश्व में जहां बैंकों ने ब्याज की दरें बढ़ाई हैं, वहीं चीन ने कम किए हैं। चीन की जीरो कोविड नीति की वजह से लोगों के मन में काम धंधे कभी भी ठप होने का डर बैठा हुआ है।
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