विश्व
चीन की नई चाल, अब भूटान में बसाता जा रहा गांव...भारत पर भी निगाहें
Apurva Srivastav
9 May 2021 3:05 PM GMT
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चीन दूसरे देशों की जमीन को हथियाने के मामले में पूरी दुनिया की आलोचना झेल रहा है
चीन दूसरे देशों की जमीन को हथियाने के मामले में पूरी दुनिया की आलोचना झेल रहा है. साल 2015 में उसने घोषणा की थी कि तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन (TAR) के दक्षिणी हिस्से में ग्यालाफुग (Gyalaphug) नाम का गांव बसाया गया है, जिसे चीनी भाषा में जिएलौबु (Jieluobu) नाम दिया गया. अंतर ये है कि ये गांव टीएआर नहीं बल्कि भूटान की जमीन पर बसाया गया है. इसके लिए चीनी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर उसका उल्लंघन किया था. 2015 की घोषणा के बाद से चीन ने इस क्षेत्र में सड़कें, इमारतें और सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी किया है.
इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय और ऐतिहासिक तौर पर भूटान का हिस्सा माना जाता है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस मिशन के तहत चीन तिब्बत के आसपास के सीमावर्ती क्षेत्र को मजबूत बना रहा है. भूटान के साथ संधि होने के बावजूद चीन इस तरह की हरकतें कर भूटान की सरकार (Bhutan Government) पर इस क्षेत्र को बीजिंग को सौंपने का दबाव बना रहा है. हाल के वर्षों में चीन इसी रणनीति पर काम भी कर रहा है, जिस क्षेत्र पर उसकी नजर होती है, वह वहां से किसी भी कीमत पर नहीं हटता. ऐसे में भूटान की जमीन पर इस तरह का निर्माण करना उसके साथ की गई संधि का उल्लंघन है.
भूटान में कई बार हुए प्रदर्शन
सीमा पर होने वाले ऐसे उल्लंघन को लेकर पहले भी भूटान के लोग प्रदर्शन कर चुके हैं. वर्तमान में भूटान में मेनचूमा घाटी और बेयुल खेंपाजोंग (Beyul Khenpajong) के अधिकतर इलाकों पर चीन का नियंत्रण है. चीन 1980 के बाद से ही बेयुल वाले इलाकों पर अपना दावा कर रहा था. न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और मॉडर्न तिब्बतन स्टडीज के डायरेक्टर रॉबर्ट बारनेट के मुताबिक, भूटान में चीन जो भी निर्माण कार्य कर रहा है उसपर बाहरी दुनिया का ध्यान नहीं है. या तो भूटान को अपनी उत्तरी सीमा पर चीन की इन गतिविधियों का कोई अहसास नहीं है या फिर वह चुप बैठा हुआ है.
क्रॉस रोड बनाने की कोशिश की थी
उन्होंने कहा कि साल 2017 में भूटान के दक्षिणपश्चिमी हिस्से में चीन ने एक क्रॉस रोड बनाने की कोशिश की थी. ये जगह भारतीय सीमा के पास है, जिसके चलते 73 दिनों तक सैकड़ों भारतीय और चीनी सैनिकों का आमना-सामना भी हुआ था. फिर बाद में चीन को ये स्थान छोड़ना पड़ा. ये कोशिश बिल्कुल वैसी ही है, जैसी चीन दक्षिण चीन सागर में करता है. जिसके चलते इस देश के रिश्ते अपने पड़ोसियों के साथ तो खराब हो ही रहे हैं, साथ ही दुनियाभर में भी उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है. वह इस सागर में भी कई जगहों पर अपना दावा करता है.
फिलपींस से भी तनाव जारी
दक्षिण चीन सागर के उस द्वीप पर फिलहाल चीन ने अपने 200 से अधिक जहाज तैनात किए हुए हैं, जिसपर फिलीपींस दावा करता है. कई बार कहने के बाद भी चीन ने यहां से अपने जहाज नहीं हटाए, पहले उसने कहा कि उसके जहाज तूफान से बचने के लिए यहां शरण लेने आए थे. लेकिन फिर बाद में कहने लगा कि यह उसी का क्षेत्र है. इन दोनों देशों के बीच इस मामले पर अब भी तनाव जारी है. इसी तरह वह भारत के लद्दाख के कई क्षेत्रों पर दावा करता है, जिसके कारण भारत के साथ जारी तनाव अब भी कम नहीं हुआ है. कुछ इसी तरह का विवाद नेपाल के साथ भी हुआ था.
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