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चीन की नई साजिश: बीआरआई के लिए श्रीलंका में लगातार बढ़ा रहा सहयोग बढ़ा रहा, बीजिंग भू-रणनीतिक केंद्र बढ़ाने में जुटा

Renuka Sahu
5 Jan 2022 12:50 AM GMT
चीन की नई साजिश: बीआरआई के लिए श्रीलंका में लगातार बढ़ा रहा सहयोग बढ़ा रहा, बीजिंग भू-रणनीतिक केंद्र बढ़ाने में जुटा
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फाइल फोटो 

चीन हिंद महासागर में द्वीपीय राष्ट्र श्रीलंका को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के लिए एक भू-रणनीतिक केंद्र के बतौर देखते हुए अपने कदम लगातार बढ़ा रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन हिंद महासागर में द्वीपीय राष्ट्र श्रीलंका को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के लिए एक भू-रणनीतिक केंद्र के बतौर देखते हुए अपने कदम लगातार बढ़ा रहा है। इस संबंध में वह यहां न सिर्फ स्थानीय समुदायों में एकजुटता बढ़ाने के नाम पर भोजन के पैकेट बांट रहा है बल्कि जाफना, मन्नार और गिलान सागर व पूर्वी अरियालाई क्षेत्रों का लगातार दौरा कर रहा है।

पॉलिसी रिसर्च ग्रुप, पोरेग ने एक लेख में लिखा है कि कि श्रीलंका में अपना विस्तार करने के लिए चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग ने क्रिसमस से ठीक पहले तमिल बहुसंख्यक उत्तरी प्रांत का दौरा किया। इसके बाद चीनी अफसरों ने गिलान सागर ककड़ी हैचरी और पूर्वी अरियालाई क्षेत्रों में जाकर मदद की। जाफना में थोड्डावेली, मन्नार में न्यू सिल्क रोड फूडस्टफ फैक्ट्री का भी दौरा किया। वह यहां भारतीय प्रभाव वाले क्षेत्रों में तमिलनाडु के साथ सांस्कृतिक व भाषाई रिश्तों को देखते हुए मदद का हाथ बढ़ा रहा है और कोरोना टीकों तथा समुद्री खीरे उगाने में भी सहयोग कर रहा है।
श्रीलंका ने किया एक अरब डॉलर के आर्थिक राहत पैकेज का एलान
श्रीलंका सरकार ने मंगलवार को गंभीर विदेशी मुद्रा संकट के बीच 1.2 अरब डॉलर के आर्थिक राहत पैकेज का एलान किया है। यहां तक कि वित्तमंत्री बेसिल राजपक्षे ने दावा किया कि रेटिंग एजेंसियों के दायित्वों को पूरा करने में असमर्थता के बावजूद देश अपने वैश्विक कर्ज पर चूक नहीं करेगा।
उन्होंने कहा, श्रीलंका एक पखवाड़े में 50 करोड़ डॉलर के अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड का भुगतान विधिवत करेगा। उन्होंने कहा, आर्थिक राहत पैकेज को समायोजित करने के लिए 229 अरब श्रीलंकाई रुपये (1.2 अरब डॉलर) खर्च किए जाएंगे। बता दें कि श्रीलंका का विदेशी भंडार दिसंबर के प्रारंभ में सिर्फ एक माह के आयात के लिए था। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि नए बाहरी वित्तपोषण स्रोतों के अभाव में सरकार के लिए 2022 और 2023 में अपने विदेशी ऋण दायित्वों को पूरा करना मुश्किल होगा।
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