विश्व
डॉलर के मुकाबले युवान को खड़ा करने में जुटा, अमेरिकी के खिलाफ चीन का नया दांव
Kajal Dubey
30 Jun 2022 5:03 PM GMT

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चीन अंतरराष्ट्रीय भुगतान में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की एक खास तैयारी कर रहा है। उसने इस कोशिश में हांगकांग और चार अन्य देशों को भी शामिल किया है। इन देशों के मिल कर चीन अपनी मुद्रा युवान का एक खास भंडार तैयार कर रहा है। इस कोशिश में बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स को माध्यम बनाया गया है। बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है, जिसका स्वामित्व सदस्य देशों के सेंट्रल बैंकों के पास है। इसे सेंट्रल बैंकों के बैंक के रूप में जाना जाता है। इस बैंक का मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौद्रिक और वित्तीय सहयोग बढ़ाना है।
चीन ने अपनी कोशिश में इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और चिली को शामिल किया है। हांगकांग भी इसमें शामिल है, जो चीन का ही हिस्सा है। इस प्रयास में शामिल सभी देश 15 बिलियन युवान यानी लगभग 2.2 बिलियन डॉलर का योगदान करेंगे। प्रयास में शामिल देशों ने रेनमिनबाइ लिक्विडिटी एग्रीमेंट पर दस्तखत किए हैं, जिसके बारे में जानकारी चीन के सेंट्रल बैंक- पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने सार्वजनिक की है। चीनी मुद्रा को रेनमिनबाइ और युवान दोनों नामों से जाना जाता है।
जरूरत के समय निकाल सकेंगे नकदी
अमेरिकी टीवी चैनल सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेमिनिबाइ लिक्विडिटी एग्रीमेंट का मकसद नकदी की कमी के समय सदस्य देशों को नकदी उपलब्ध करवाना है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने कहा है कि जब किसी सदस्य देश को नकदी की जरूरत होगी, तो वह न सिर्फ अपने योगदान के मुताबिक रकम निकाल सकेगा, बल्कि सेंट्रलाइज्ड लिक्विडिटी विंडो से उसे अतिरिक्त रकम भी उपलब्ध करवाई जाएगी। सामान्य दिनों में सदस्य देशों की तरफ से दी गई रकम को बैंक ऑफ इंटरनेशन सेटलमेंट्स में जमा रहेगी।
चीन की इस पहल को अंतरराष्ट्रीय जगत में काफी अहमियत दी जा रही है। इसे डॉलर का विकल्प तैयार करने की चीन और रूस की साझा कोशिशों से जोड़ कर देखा जा रहा है। पिछले हफ्ते हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि ब्रिक्स देश अपनी अलग अंतरराष्ट्रीय मुद्रा तैयार करेंगे। बाद में रूस के वित्त मंत्रालय ने कहा कि अभी ये कोशिश शुरुआती दौर में है। फिलहाल मकसद यह है कि ब्रिक्स में शामिल देश आपसी कारोबार में भुगतान के लिए अपनी मुद्राओं का अधिक से अधिक इस्तेमाल करेँ।
ब्रिक्स देश भी कर रहे हैं कोशिश
सीएनबीसी ने कहा है कि ब्रिक्स के सदस्य देश- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका- अपनी मुद्राओं का एक बास्केट तैयार करने की कोशिश में हैं। इसके जरिए उनका मकसद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का विकल्प तैयार करना है। आईएमएफ कड़ी शर्तों के आधार पर कर्ज देता है। ब्रिक्स देश ऐसा विकल्प तैयार करना चाहते हैं, जिससे देशों के पास कर्ज पाने का ऐसा विकल्प मौजूद हो, जिसे लेने पर उन्हें अपनी आंतरिक नीतियों में बदलाव ना करना पड़े।
रूस की समाचार एजेंसी तास ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि सदस्य देशों की मुद्राओं के बास्केट पर आधारित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार तैयार करने के राष्ट्रपति पुतिन के प्रस्ताव पर ब्रिक्स देश गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ताजा खबर से साफ है कि इस बीच चीन ने कई उन देशों के साथ ऐसा करार कर लिया है, जो ब्रिक्स के सदस्य नहीं हैं।
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