चीन में आयोजित बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का विरोध कर रहे उइगर, तिब्बती और लद्दाखी मानवाधिकार पैरोकारों के साथ अमेरिका स्थित एक अधिकार संगठन ने एकजुटता जताई है। ओलंपिक समापन समारोह से ठीक एक दिन पूर्व मानवधिकार व धार्मिक आजादी के लिए वैश्विक आयोग (आईसीएचआरआरएफ) ने एक ऑनलाइन संगोष्ठी में यह बात कही।
इस दौरान तिब्बती, उइगर और लद्दाखी (गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र) समुदायों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने उनके सामने आने वाली समकालीन चुनौतियों पर अपनी टिप्पणियां दीं। आईसीएचआरआरएफ ने एक बयान में कहा, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना, इसकी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और पीएलए का लंबे समय से जारी दुर्व्यवहार चिंता का विषय हैं।
समूह ने कहा, अधिकांश लोकतंत्रों ने बीजिंग शीतकालीन ओपंपिक का कूटनीतिक बहिष्कार किया है, क्योंकि सीसीपी का अपने ही घर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और अपने पड़ोसियों के खिलाफ क्षेत्रीय आक्रमण का रिकॉर्ड खराब है। इस दौरान वक्ताओं में डेनवर विवि के कानून के प्रोफेसर, वेद नंदा, तिब्बती निर्वासन और हार्वर्ड में पढ़े वकील थिनले चुक्की, तिब्बती युवा कांग्रेस महासचिव सोनम त्सेरिंग और प्रो. नवांग लेगशे ने भी चीनी बर्ताव की निंदा की।