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पाकिस्तानी सूत्रों ने ऐसी खबरों को नकारते हुए कहा है कि यह चीनी वर्कर्स का रेग्युलर मूवमेंट है, जिसे पलायन के तौर पर पेश किया जा रहा है।
कराची यूनिवर्सिटी में पिछले दिनों दिनों बलूचिस्तान विद्रोही संगठन से जुड़ी एक बुर्काधारी महिला ने आत्मघाती धमाका कर दिया था। इस हमले में तीन चीनी मूल के शिक्षकों समेत 4 लोगों की मौत हो गई थी। बीते तीन सालों में चीनी नागरिकों को निशाना बनाते हुए किया गया पाकिस्तान में यह चौथा अटैक था। अब तक पाकिस्तान को हमले को लेकर चेतावनी देते आए चीन का अब उस पर से भरोसा ही उठ गया है। खुद पाकिस्तान की सुरक्षा मामलों की संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। सीनेट डिफेंस कमिटी के चेयरमैन मुशाहिद हुसैन ने कहा, 'पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था में चीन का भरोसा खत्म हुआ है कि वह उसके नागरिकों और हितों की रक्षा कर सकेगा।'
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के साांसद मुशाहिद ने अटैक के बाद पिछले सप्ताह चीनी दूतावास में जाकर मुलाकात की थी और नागरिकों के मारे जाने पर संवेदना व्यक्त की थी। बीते महीने उस वैन को निशाना बनाकर कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस इंस्टिट्यूट के बाहर अटैक किया गया था, जिसमें चीनी शिक्षक सवार थे। इससे पहले बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा में भी चीनी नागरिकों को निशाना बनाया जा चुका है। पाक सांसद ने कहा, 'इस हमले ने चीन के अंदर गहरी चिंता और निराशा पैदा की है। चीनी नागरिकों पर लगातार हमले जारी हैं और पाकिस्तान की ओर से जो फूलप्रूफ सिक्योरिटी की बात कही गई है, उसे गंभीरता से लागू नहीं किया जा सका है।'
समिति की चेतावनी, दूसरे देश भी पाक से जाने का कर सकते हैं विचार
इन हमलों को लेकर पाकिस्तान की संसदीय समिति ने सरकार को चेतावनी भी दी है। हुसैन की लीडरशिप वाली कमिटी ने सरकार से कहा कि यदि इस तरह के अटैक जारी रहते हैं तो फिर चीनी ही नहीं बल्कि अन्य विदेशी निवेशक भी पाकिस्तान में अपनी भूमिका को लेकर एक बार फिर से सोचने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि सोशल मीडिया में कुछ रिपोर्ट्स में पहले ही दावा किया जा रहा है कि कराची यूनिवर्सिटी में अटैक के बाद बड़ी संख्या में चीनी वर्कर पाकिस्तान छोड़कर जा रहे हैं। हालांकि पाकिस्तानी सूत्रों ने ऐसी खबरों को नकारते हुए कहा है कि यह चीनी वर्कर्स का रेग्युलर मूवमेंट है, जिसे पलायन के तौर पर पेश किया जा रहा है।
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