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अर्मेनिया के जिस क्षेत्र पर अज़रबैजान ने हमला किया है, उस क्षेत्र में रूस के दो हजार शांति सैनिक तैनात हैं.
एशिया इस समय जंग का मैदान बना हुआ है, जहां एक तरफ रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध चल रहा है वहीं अब चीन और ताइवान के बीच भी विवाद बढ़ता दिख रहा है. दोनों ही देशों के बीच अभी तनाव का माहौल है. अब अज़रबैजान और आर्मीनिया के बीच युद्ध की शुरूआत होते दिख रही है. अज़रबैजान ने नागार्नो- काराबाख के इलाके में हमला किया है. हमले में 3 सैनिकों की मौत हो गई है. अब देखना यह है एशिया में भविष्य में और क्या होता है.
सोच समझकर जंग के मैदान में कूदेगा चीन
जानकारों की मानें तो चीन बहुत सोच समझकर जंग के मैदान में कूदेगा. क्योंकि, ये जंग सिर्फ ताइवान के लिए ही नहीं बल्कि उसके लिए भी घातक साबित होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि, चीन की ताकत उसका पैसा है. वो पैसा जो वो अमेरिका समेत यूरोपीय देशों से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के जरिए कमाता है. ऐसे में अगर चीन ने ताइवान पर हमला बोला तो सुपरपावर अमेरिका उसकी इस कमजोर नस को दबा सकता है.
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती जा रही खटास
नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन का बयान सामने आया है. चीन ने कहा है कि पेलोसी के ताइवान जाने के बाद पैदा हुए हालात का जिम्मेदार कोई है तो वो अमेरिका है. मतलब ये कि ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच खटास बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल ये हैं कि अगर चीन और ताइवान आपस में भिड़ते हैं तो अमेरिका क्या स्टैंड लेगा. क्या अमेरिका चीन के खिलाफ जंग के मैदान में उतरेगा.
चीन के 27 लड़ाकू विमान ताइवान की हवाई सीमा में घुसे
नैंसी पेलोसी के ताइवान से रवाना होने के पहले ही चीन की नौसेना और वायुसेना ने दक्षिण चीन सागर में 6 जगह युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है. चीन की नौसेना ताइवान के उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में जिस जगह लाइव फायर ड्रिल कर रही है, वहां से ताइवान की दूसरी 15 मील से भी कम बताई जा रही है. पेलोसी के दौरे से बौखलाए चीन ने ताइवान में कई जगहों पर अपने फाइटर जेट और युद्धपोतों की भी तैनाती कर दी है. चीन के 27 लड़ाकू विमान ताइवान की हवाई सीमा में घुस चुके हैं. चीन का ये युद्धाभ्यास 1996 के ताइवान संकट से भी ज्यादा बड़ा है. चीन की सरकारी मीडिया ने तो यहां तक धमकी दे दी है कि 7 अगस्त तक चलने वाला युद्धाभ्यास आगे भी बढ़ सकता है और ये भी हो सकता है कि चीन की सेना ताइवान के सैन्य ठिकानों पर हमला भी कर दे.
अज़रबैजान और आर्मीनिया के बीच बढ़ा विवाद
वहीं, नागोर्नो-कराबाख के इलाके पर कब्जे को लेकर एक बार फिर अज़रबैजान और आर्मीनिया के बीच विवाद शुरू हो गया है. अज़रबैजान की सेना ने आर्मीनिया के खिलाफ बीते दिनों एक सैन्य अभियान चलाया. अर्मेनियाई रक्षा मंत्रालय ने भी आधिकारिक बयान जारी करते हुए माना कि अज़रबैजान के इस सैन्य अभियान में दो आर्मीनियाई सैनिकों की मौत हुई है, जबकि 14 अन्य सैनिक घायल हुए हैं. अज़रबैजान-आर्मेनिया के बीच विवाद की जड़ नागोर्नो-करबाख का पहाड़ी इलाका है. इस क्षेत्र को अज़रबैजान अपना हिस्सा बताता है. हालांकि साल 1994 से इस पर आर्मेनिया का कब्जा है. विवादित क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए दोनों देश अब तक दो लड़ाइया लड़ चुके हैं. अर्मेनिया के जिस क्षेत्र पर अज़रबैजान ने हमला किया है, उस क्षेत्र में रूस के दो हजार शांति सैनिक तैनात हैं.
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