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अमेरिका के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा है कि चीन जिस गति से परमाणु हथियारों का निर्माण कर रहा है उसे देखते हुए वह जल्द ही रूस से अमेरिकी खतरे को पीछे छोड़ देगा।
अमेरिका के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा है कि चीन जिस गति से परमाणु हथियारों का निर्माण कर रहा है उसे देखते हुए वह जल्द ही रूस से अमेरिकी खतरे को पीछे छोड़ देगा। अधिकारी ने कहा, हम रूस को एटमी हथियारों के रूप में सबसे बड़े खतरे के रूप में देखते हैं लेकिन अब चीन एक नई चुनौती बनने जा रही है।
अमेरिकी वायु सेना के लेफ्टिनेंट जनरल थामस बुसीरे ने चेतावनी दी कि दोनों देशों के पास गलत संचार को रोकने के लिए कोई तंत्र नहीं है। बुसीरे अमेरिकी रणनीतिक कमांड के डिप्टी कमांडर भी हैं। अमेरिकी परमाणु शस्त्रगार की देखरेख भी उन्हीं के जिम्मे है।
उन्होंने कहा, चीन की एटमी क्षमताओं का विकास देखते हुए उसके सार्वजनिक दावे पर भरोसा नहीं कर सकते कि वह न्यूनतम परमाणु निवारक क्षमता बनाए रखना चाहता है। बुसीरे की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब अमेरिका चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य ताकत का मुकाबला करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अधिक जोर दे रहा है और इसके लिए अपनी विदेश नीति को फिर से संगठित करने की कोशिश कर रहा है।
कई नए साइलो बना रहा चीन
उपग्रह से मिली तस्वीरों पर आधारित एक अमेरिकी थिंकटैंक की रिपोर्ट भी कहती है कि चीन परमाणु मिसाइलों के लिए सैकड़ों नए साइलो का निर्माण कर रहा है। जबकि अमेरिका ने चीन पर परमाणु हथियारों की वार्ता का विरोध करने का आरोप लगाया है।
चीन का कहना है कि उसका शस्त्रागार अमेरिका और रूस से छोटा है और वह वार्ता को तैयार है। उसने कहा कि इसके लिए अमेरिका को चाहिए कि वह अपने परमाणु भंडार को चीन के स्तर तक कम कर दे। बता दें कि अमेरिका के पास एक मार्च तक 1,357 एटमी हथियार थे।
ताइवान के पास से अमेरिकी युद्धपोतों के गुजरने से भड़का चीन
अमेरिकी नौसेना के युद्धपोतों के ताइवान के पास से गुजरने पर चीन भड़क गया है। बीजिंग ने इस कदम को उकसावे वाला बताते हुए इसकी निंदा की और अमेरिका को क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया। अमेरिका के दो युद्धपोत शुक्त्रस्वार को ताइवान स्ट्रेट से होकर गुजरे थे।
इनमें से एक अमेरिकी नौसेना का युद्धपोत यूएसएस किड और दूसरा तटरक्षक बल का पोत मुनरो बताया गया। अमेरिकी नौसेना ने भी माना कि उसके दो युद्धपोत इस क्षेत्र से गुजरे हैं और यह एक स्वतंत्र इलाका है। जबकि ताइवान पर अपना हक जताने के कारण चीन इस क्षेत्र पर अपना हक जताता है।
जापान-ताइवान में पहली सुरक्षा वार्ता पर चीन बौखलाया
जापान और ताइवान के सत्ताधारी दलों के बीच पहली बार हुई सुरक्षा वार्ता पर चीन बौखला गया है। चीन ने इस वार्ता का कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि जापान उसके आंतरिक मामलों में दखल बंद करे। चीन का यह बयान ताइवान और जापान की सत्तारूढ़ पार्टियों के बीच पहली राजनयिक और रक्षा नीति पर हुई बातचीत के बाद आया है।
इस वार्ता में जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के प्रतिनिधियों ने ताइवान की सीपीटीपीपी के साथ एक व्यापक समझौता किया और ताइवान का समर्थन करने का संकल्प लिया। जापान ने यह समझौता चीन द्वारा ताइवान पर बढ़ाए जा रहे सैन्य व आर्थिक दबाव के बाद किया है।
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