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रूस की हरकत से चीन पसोपेश में पड़ा, सरकारी मुखपत्र में बयान छापने की आई नौबत

Neha Dani
11 Jan 2022 2:24 PM GMT
रूस की हरकत से चीन पसोपेश में पड़ा, सरकारी मुखपत्र में बयान छापने की आई नौबत
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लेकिन सच ये है कि रूस के तेज तर्रार रवैये से इस बार चीन भी हतप्रभ है.

कजाकिस्तान (Kazakhstan) में रूस (Russia) ने अपने ही दोस्त चीन (China) को चेकमेट कर दिया है और चीन को बाद में इसके खंडन में बयान भी जारी करना पढ़ा. वाल स्ट्रीट जर्नल और चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. आइए पहले जाना जाए मामला क्या है? दरअसल, रूस ने पिछले सात दिनों में साबित कर दिया है कि वो मध्य एशिया की राजनीति का सबसे बड़ा प्लेयर है. भले ही रूस की जीडीपी अमेरिका और चीन के मुकाबले कम हो, लेकिन उसकी सेना की पकड़ मध्य-एशिया में काफी मजबूत है. रूस ने महज 48 घंटों में अपनी सेना को कजाकिस्तान में पहुंचा दिया.

वहीं, चीन उसके 48 घंटे बाद कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव से बात कर पाया. रूस ने फौज से अधिकतर वो सैनिक भेजे, जो वहां की स्थानीय भाषा बोल सकते हैं. ये काम चीन की फौज नहीं कर सकती है. 1991 तक कजाकिस्तान सोवियत यूनियन का हिस्सा था, इसलिए रूस वहां के सिस्टम को बहुत अच्छी तरह से समझता है. लेकिन 1991 में सोवियत यूनियन के टूटने के बाद और 2013 में चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद मध्य एशिया का चाल चरित्र बदला है. चीन ने ही सबसे ज्यादा निवेश मध्य एशिया में किया है. आज मजाक ये है कि चीन की आर्थिक ताकत अब रूस की सेना के रहमों करम पर है.
रूस की हरकत से चीन पसोपेश में पड़ा
दिलचस्प बात ये है कि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति सीनोफाइल हैं. यानी सोवियत यूनियन के जमाने में उनकी पोस्टिंग बीजिंग (Beijing) में हुई थी और वो अच्छी तरह से मंडारिन बोल सकते हैं. वाल स्ट्रीट जर्नल में हेरिटेज फाउंडेशन के दीं चेंग ने लिखा है कि रूस की इस हरकत से चीन पसोपेश में जरूर पड़ा होगा क्योंकि उसने सोचा नहीं होगा कि रूस बिना सलाह मशविरा किये इतना बड़ा कदम उठा लेगा. आज रूस के 20000 सैनिक कजाकिस्तान में हैं. चीन के लिए एक दिक्कत और भी है. कजाकिस्तान रूस और चीन के बीच में पड़ता है और उसका एक हिस्सा शिनजियांग से भी जुड़ा है.
आर्थिक नजदीकियों के बाद भी चीन और मध्य एशियाई देशों के मन नहीं मिले
शिनजियांग में चीन ने उइगर, किरगिज और मध्य एशिया समाज से जुड़े लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. अमेरिका का कहना है कि शिनजियांग एक सर्वेलेंस स्टेट बन चुका है. कजाकिस्तान ने एक लाख उइगर समाज के लोगों को अपने यहां बसाया है. ये कारण है कि आर्थिक नजदीकियों के बावजूद मध्य एशिया और चीन के मन नहीं मिले हैं और बातचीत बटुए तक सीमित है. इस तरह के लेख के बाद चीन में इतना बवंडर मचा कि ग्लोबल टाइम्स को स्पष्टीकरण छापना पढ़ा. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि मध्य एशिया में चीन और रूस के बीच कोई मतभेद पैदा नहीं कर सकता है.
ग्लोबल टाइम्स में क्या कहा गया?
ग्लोबल टाइम्स ने ये भी लिखा कि अमेरिका मध्य एशिया में अस्थिरता पैदा कर रहा है. ध्यान से देखे तो कजाकिस्तान रूस और चीन के कई सारे मल्टी लेटरल फोरम्स में है. जैसे की शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाईजेशन और ईईयू. लेकिन ये फौजी फोरम नहीं हैं. सीएसटीओ ही फौजी गठबंधन है जिसकी कमान रूस के हाथ में हैं. चीन का कहना है कि वेस्ट मध्य एशिया में कलर क्रांति की जरिये आतंकवाद फैला रहा है जिसको रूस और चीन कामयाब नहीं होने देगा. मुखपत्र में इस बात को माना गया कि दंगे अंदुरनी कारणों से हुए, लेकिन हिंसा को हवा देने का आरोप स्थानीय एनजीओ के सर मढ़ दिया गया. लेकिन सच ये है कि रूस के तेज तर्रार रवैये से इस बार चीन भी हतप्रभ है.

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