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भारत की Chicken Neck को 'तोड़ना' चाहता है चीन, क्यों महत्वपूर्ण है सिलीगुड़ी कॉरिडोर?

Neha Dani
25 Oct 2021 10:01 AM GMT
भारत की Chicken Neck को तोड़ना चाहता है चीन, क्यों महत्वपूर्ण है सिलीगुड़ी कॉरिडोर?
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राजनयिकों के बीच लंबी बातचीत के बाद पैंगोंग त्सो के आसपास के कुछ क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमति जताई.

सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Siliguri corridor) को भारत के 'चिकन नेक' (Chicken neck) के रूप में जाना जाता है. 2017 में जब भारत और चीन के बीच डोकलाम संकट (India-China Doklam crisis) पैदा हुआ, तो ये एक महत्वपूर्ण मार्ग बनकर उभरा. ये कॉरिडोर पश्चिम बंगाल (West Bengal) में स्थित है. इसकी लंबाई 60 किमी है और ये 20 किमी चौड़ा है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर उत्तर-पूर्व को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. ये कॉरिडोर न केवल एक जरूरी व्यापार मार्ग है बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है.

यह क्षेत्र बांग्लादेश, नेपाल (Nepal), भूटान (Bhutan) और चीन (China) से घिरा हुआ है. चिकन नेक कॉरिडोर से तिब्बत (Tibet) की चुंबी घाटी (Chumbi valley) महज 130 किमी दूर है. भारत, नेपाल और भूटान का ट्राइजंक्शन इस घाटी के सिरे पर है और इसे डोकलाम क्षेत्र (Doklam region) के रूप में जाना जाता है, जहां 2017 में भारत और चीन (India-China Tensions) के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई थी. हिमालय पर्वत जैसे माउंट कंचनजंगा दो प्रमुख नदियों का स्रोत हैं, जिन्हें तीस्ता और जलदाखा के नाम से जाना जाता है. ये दोनों बांग्लादेश में प्रवेश करने पर ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है सिलीगुड़ी कॉरिडोर?
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में पांच करोड़ लोगों की आबादी है. अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से ये कॉरिडोर उत्तर-पूर्वी राज्यों और शेष भारत के व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. भारत और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच एकमात्र रेलवे फ्रेट लाइन भी यहां पर मौजूद है. दार्जिलिंग की चाय और इमारती लकड़ी इस क्षेत्र के महत्व को और बढ़ा देती है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सड़क मार्ग और रेलवे सिलीगुड़ी कॉरिडोर से जुड़े हुए हैं. इस कॉरिडोर के जरिए ही उन्हें सभी जरूरी चीजों की आपूर्ति की जाती है. ये भारत और इसके पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया में आसियान देशों के बीच संपर्क को सुगम बनाकर भारत को अपनी 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है.
ये कॉरिडोर पूर्वोत्तर राज्यों में अवैध अप्रवास, सीमा पार आतंकवाद और इस्लामी कट्टरपंथ का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है. दक्षिण-पूर्व एशिया अपने स्वर्ण त्रिभुज के लिए कुख्यात है. म्यांमार, थाईलैंड और लाओस में संगठित अपराध और ड्रग ट्रैफिकिंग की तस्करी प्रचलित है. इन देशों से भारतीय राज्यों जैसे त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में ड्रग ट्रैफिकिंग की तस्करी का प्रसार एक प्रमुख सुरक्षा खतरा है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर में सुरक्षा में सुधार कर इस क्षेत्र को सुरक्षित किया जा सकता है. तिब्बत के करीब होने की वजह से भारत चीन पर यहां से नजर रख पाता है. युद्ध के समय आसानी से हथियारों और सैनिकों को तैनात किया जा सकता है.
चीन के साथ जारी है सीमा विवाद
बीजिंग अपनी बेल्ट एंड रोड योजना की आड़ में भारत के पड़ोसी देशों में भारी निवेश कर रहा है, लेकिन ये देश चीनी कर्ज के जाल में फंस गए हैं. वहीं, पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद को हल करने के लिए भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के सकारात्मक परिणाम नहीं निकले हैं. स्थिति को शांत करने के लिए दोनों सेनाओं के बीच एक दर्जन से अधिक दौर की बातचीत हो चुकी है. मगर इसके बाद भी कोई समाधान नहीं निकला है. फरवरी में दोनों पक्षों ने सैन्य कमांडरों और राजनयिकों के बीच लंबी बातचीत के बाद पैंगोंग त्सो के आसपास के कुछ क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमति जताई.

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