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चीन ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ जीरो-कोविड की नीति को बरकरार रखा

Neha Dani
13 Aug 2022 11:54 AM GMT
चीन ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ जीरो-कोविड की नीति को बरकरार रखा
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विदेशी पूंजी के निरंतर प्रवास के साथ डोंगगुआन में कोई बड़ा कारखाना नहीं बचा है।

चीन की कम्यूनिस्ट सरकार ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ जीरो-कोविड की नीति को बरकरार रखा है। मगर इसका खामियाजा विनिर्माण केंद्रों को उठाना पड़ रहा है। कभी चीन का मैन्युफैक्चरिंग हब माने जाने वाले डोंगगुआन स्थति पर्ल नदी डेल्टा क्षेत्र से बड़ी संख्या में निजी निर्माता काम बंद करने के लिए मजबूर हो गए हैं। अन्य कंपनियों ने भविष्य में कारोबार में सुधार होने की उम्मीद के साथ तत्काल काम को रोक दिया है। व्यापार में घाटे की समस्या डोंगगुआन प्रांत तक ही सीमित नहीं है। बल्कि चीन के दूसरे शहरों में भी उद्योग कंपनियां घाटे में चल रही है।


चीनी न्यूज एजेंसी आरएफए के मुताबिक, पिछले महीने डोंगगुआन स्थित कूपर इलेक्ट्रॉनिक ने ऐलान किया कि कंपनी बंद कर देंगे। हांगकांग के स्वामित्व वाली टॉयमेकर डोंगगुआन केशन टॉयज ने भी कंपनी बंद करने की घोषणा कर दी है। वहीं डोंगगुआन जिंगली प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी अपने सभी कर्मचारियों की छंटनी के बाद 31 अगस्त को उत्पादन बंद कर देगी। अन्य निजी कंपनियों अपने कर्मचारियों को छह महीने के लिए छुट्टी देने की योजना बना रहे हैं क्योंकि कोरोना की नई नीति के बाद नए ऑर्डर में भारी गिरावट दर्ज की गई है।


व्यवसायियों के अनुसार, ऑर्डर न मिलने के कारण कंपनी नुकसान में जा रही है। पेरोल बिल को पूरा करना मुश्किल हो चुका है, इसलिए यही एकमात्र उपाय बचा है। आरएफए की मानें तो चीन के डोंगगुआन में इस तरह के हालात इसलिए हुए है क्योंकि कोरोना के कारण लगी पांबदियों से चीन में लागत आसमान छू रही है और विदेशी निवेश वाले कंपनियां वियतनाम, कंबोडिया और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की तरफ तेजी से रुख कर रही हैं।

वित्तीय टिप्पणीकार काई शेंगकुन ने बताया कि कम्यूनिस्ट सरकार के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जीरो-कोविड की नीति को अपनाया है। जिसका मतलब है कि एक पल में बिना किसी पूर्व सूचना के एक पल लॉकडाउन लगाया जा सकता है। सभी व्यक्तियों के लिए अनिवार्य जांच और क्वारंटाइन के आदेश लागू हैं। कोरोना को लेकर इतने सख्त नियमों के कारण शिपिंग लागत में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे उत्पादों का निर्यात करने से कोई लाभ नहीं होगा। यहीं कारण हैं कि कंपनियां बंद होने को मजबूर हैं।

वित्तीय टिप्पणीकार काई शेंगकुन ने बताया कि एक दौर था जब डोंगगुआन चीन का मैन्युफैक्चरिंग बेस हुआ करता था। अपने सुनहरे दिनों में डोंगगुआन दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों का उत्पादन करता था। अपने सुनहरे दिनों के दौरान, डोंगगुआन ने 20 सालों तक उच्च सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को बनाए रखा और खूब धन जमा किया। मगर गुजरते वक्त के साथ कुछ उद्योगों के स्थानांतरण और विदेशी पूंजी के निरंतर प्रवास के साथ डोंगगुआन में कोई बड़ा कारखाना नहीं बचा है।

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